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Saturday, July 27, 2024

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चंदौली के अधिवक्ताओं ने एक बार फिर गरमाया मुख्यालय निर्माण का मुद्दा

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चंदौली। जिला मुख्यालय निर्माण को लेकर चंदौली के अधिवक्ताओं का प्रयास व संघर्ष निरंतर जारी है। सम्पूर्ण समाधान दिवस के दौरान प्रशासनिक खेमे द्वारा एक बार फिर ठंडे बस्ते में डाल दिए गए चंदौली जिला मुख्यालय एवं न्यायालय निर्माण के मुद्दे को अधिवक्ता डा. वीरेंद्र प्रताप सिंह ने गर्म कर दिया। उन्होंने जिलाधिकारी संजीव सिंह व एसपी अंकुर अग्रवाल समेत तमाम जिला स्तरीय अफसरों के बीच सम्पूर्ण समाधान दिवस में शिकायती प्रार्थना पत्र देकर जिला मुख्यालय निर्माण की दिशा में प्रभावी पहल किए जाने की मांग की। साथ ही यह भी कहा कि जिला प्रशासन आज भी पुराने ढर्रे पर चल रहा है, जिसमें बदलाव की जरूरत है।
उन्होंने अपने शिकायती पत्र में यह स्पष्ट किया कि जिन सरकारी कार्यालयों के निर्माण के लिए भूमि आवंटित हो चुकी है। तत्काल मौके पर उक्त कार्यालयों के बोर्ड स्थापित किए जाएं। साथ ही उसके निर्माण की प्रक्रिया को भी गति दी जाय। उन्होंने कहा कि पुलिस लाइन को जिला मुख्यालय के पास सदर तहसील में निर्माण किया जाय। विकास भवन का निर्माण जसुरी मौजे में आवंटित भूमि पर किया जाय। जिसे अन्य ले जाने का प्रशासनिक प्रयास व राजनीतिक षड्यंत्र किया गया। कहा कि हिनौता मौजा में ट्रांजिस्ट हास्टल का निर्माण यथाशीघ्र हो। बताया कि सेवायोजन व अभियोजन कार्यालय निर्माण के लिए धूरी कोट मौजे में जमीन आवंटित है। बावजूद इसके प्रशासनिक शिथिलता व लापरवाही के साथ ही राजनीतिक उपेक्षा के कारण इन सरकारी दफ्तरों का निर्माण नहीं हो सका है। एडीआर भवन भी धूरी कोट मौजा में बनना चाहिए, जिसके लिए जमीन आवंटित हो चुकी है। पुस्तकालय भवन के लिए भी भूमि आवंटित है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि जनपद सृजन के 24 वर्ष बाद भी इस अतिमहत्वकांक्षी कार्य को रोके रखा गया है, जिसे लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेदार है। उन्होंने एसपी कार्यालय, मत्स्य विभाग के कार्यालय के साथ-साथ सभी अफसरों के आवास को जसुरी मौजा में बनाया जाना जरूरी है। इसके अलावा रोडवेज बस डिपो, आरटीओ कार्यालय कटसिला में उपलब्ध है। बावजूद इसके इन कार्यालयों का निर्माण नहीं हो पा रहा है। वहीं जल्द से जल्द जनपद कारागार की भूमि सुनिश्चित कर उसका निर्माण कराया जाएगा। इन तमाम कार्यालयों में जिनके लिए भूमि आवंटित हो गयी है वहां कार्यालयों का बोर्ड लगाया जाना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर अधिवक्ता एक बार फिर आंदोलन करने को बाध्य होगा।

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