Young Writer, सकलडीहा। एसडीएम, तहसीलदार और नायब तहसीलदार के रवैये से नाराज चल रहे अधिवक्ताओं में काफी उबाल है। मंगलवार को संयुक्त बार की ओर से तहसील प्रशासन की तानाशाही और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए पूरे तहसील परिसर में अधिवक्ताओं ने विरोध जताया। इस दौरान अधिवक्ताओं ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर तहसील में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच की कराने की मांग की। साथ ही जिला प्रशासन द्वारा मामले का पटाक्षेप नहीं किये जाने पर उग्र आन्दोलन की चेतावनी दिया।
संयुक्त बार के अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि तहसील प्रशासन की रवैया के कारण आम जनता परेशान है। भूमि विवादों के निस्तारण तो दूर न्यायालयों के लम्बीत मामलों का निस्तारण में रूचि नही दिखाया जा रहा है। बार अध्यक्ष राजकुमार सिंह और महामंत्री अजय रंजन ने आरोप लगाया कि अधिकारियों द्वारा आम जनता से अपशब्दों के साथ व्यवहार किया जाता है। अधिवक्ता आम जनता को न्याय दिलाने के लिये आता है, लेकिन अधिवक्ताओं की अधिकारी बात सुनना तो दूर उपेक्षा और अपमान किया जाता है। पूर्व अध्यक्ष शिवकुमार सिंह और पूर्व महामंत्री नितिन तिवारी ने आरोप लगाया कि तहसीलदार लेखपालों के साथ गोल गिरोह बनाकर अधिवक्ताओं के खिलाफ खड़ा करने की साजिश रच रही है। यही नही नायब तहसीलदार द्वारा अधिवक्ताओं को एससी एसटी सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराये जाने की धमकी दी जाती है। ऐसे में आम जनता का हित तो दूर बार और ब्रेंच का सामांज्य पूर्ण रूप से अनियंत्रण में हो गया है। तहसील में खुलेआम अधिकारी की ओर से भ्रष्टाचार का बढ़ावा दिया जा रहा है। आक्रोशित अधिवक्ताओं ने पूरे तहसील परिसर में अधिकारियों के कार्यालय के बाहर नारेबाजी के साथ विरोध प्रदर्शन किया। अधिवक्ताओं ने जिलास्तरीय द्वारा मामला का शीध्र समाधान नही होने पर उग्र आन्दोलन की चेतावनी दिया। इस मौके पर विरोध जताने वालों में सुरेन्द्रकांत मिश्रा, राजगोपाल सिंह, जगदीश, शिवाजी, जयप्रकाश ओझा, जशवंत सिंह, सुरेश सिंह यादव उमाशंकर, सुभाष सिंह, विजय प्रताप सिंह, अभय मौर्या, रामकीर्तन सिंह, क्षमाशंकर पाठक, प्रभु पाठक, दिनेश सिंह, अतुल तिवारी, आलोक पाठक, जयप्रकाश, रामराज यादव, अनिल कुमार, नरसिंह, अखिलेश तिवारी, बृजेश पाल, रमाकांत पांडेय मौजूद रहे।