2015 के मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट में दोषी कराए दिए गए सकलडीहा विधायक
Young Writer, चंदौली। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट व एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट ने 2015 के एक मामले में सकलडीहा विधायक प्रभु नारायण सिंह यादव व उनके भाई अनिल यादव को धारा-341 व 352 के तहत दोषी कराया दिया। कोर्ट ने सकलडीहा विधायक व उनके भाई को धारा-341 में एक माह की कारावास व 500-500 रुपये अर्थदंड तथा धारा-352 में तीन माह की साधारण कारावास व 500-500 रुपये का अर्थ दंड से दंडित किया। कोर्ट का फैसला आने के बाद सकलडीहा विधायक प्रभुनारायण सिंह यादव ने सत्र न्यायालय में जाने की बात कही है। उक्त मामले में अभियोजन की ओर से मिथिलेश सिंह ने पक्ष रखा।
न्यायालय में दायर आपराधिक वाद संख्या-1955/2017 के मुताबिक वादी मुकदमा सुशील सिंह द्वारा एसपी चंदौली को प्रार्थना-पत्र देकर शिकायत दर्ज कराई कि दिनांक 24 अक्टूबर 2015 की रात नौ बजे वह सकलडीहा विधानसभा के कांवर गांव में अपने समर्थक सुनील सिंह के आर्मी पब्लिक स्कूल पर गए थे। कुछ देर में पूर्व विधायक धानापुर प्रभुनारायण यादव व उनके सगे छोटे भाई अनिल यादव अपने समर्थकों के साथ आए और महड़ौरा-भूपौली चहनियां रोड पर अपनी गाड़ियों को आड़ा तिरछा खड़ा कर दिए, जिससे उस मार्ग पर आवागमन बाधित हो गया। प्रभुनारायण सिंह यादव अपने समर्थकों के साथ अवांछनीय बात करने लगे, जिससे उनकी तरह से विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। इसके बाद विधायक सुशील सिंह ने सीओ सकलडीहा को फोन पर सूचना दिया। इस दौरान पूर्व विधायक व उनके समर्थक मारपीट पर अमादा हो गए और गाली-गलौज करने लगे। सुशील सिंह ने बतौर साक्षी न्यायालय में सशपथ बयान दिया कि घटना के दिन सभी अभियुक्तगण हाथ में लाठी-डंडा व असलहा लिए हुए थे और मेरी जान मारने की नियत से आमादा हो गए और जान से मारने की धमकी दिए। कुछ देर बाद मौके पर पुलिस बल आ गयी, जिससे विपक्षी हट बढ़ गए। उक्त प्रकरण में एसपी चंदौली के आदेश से थाना बलुआ में एफआईआर दर्ज की गई। इस मामले में सुनवाई करते हुए एमपी-एमएलए विशेष न्यायालय ने अभियुक्त प्रभुनारायण यादव व अनिल यादव को धारा-341, 352 आईपीसी के अपराध में दोष सिद्ध करार दिया। वहीं अपराध अंतर्गत धारा-143, 504, 506 आईपीसी में दोषमुक्त कर दिया। न्यायालय की ओर से सकलडीहा विधायक प्रभुनारायण सिंह यादव व उनके भाई अनिल यादव को धारा-341 में एक माह की कारावास व 500-500 रुपये अर्थदंड तथा धारा-352 में तीन माह की साधारण कारावास व 500-500 रुपये का अर्थ दंड से दंडित किया। अर्थदण्ड अदा नहीं करने पर प्रत्येक अभियुक्त को 15-15 दिन का अतिरिक्त कारावास का दण्ड भुगतना होगा।