Young Writer, शमशाद अंसारी
Chandauli: UP Board के High School व Intermediate के परीक्षा परिणाम शनिवार को जारी हुए। इसके साथ ही सफल छात्र-छात्राओं के सपनों को पंख लगे हैं। कोई डाक्टर तो कोई इंजीनियर, वैज्ञानिक व अधिकारी बनकर देश व समाज की सेवा करने के लक्ष्य व सपने को पाना चाहता है। लेकिन दिलचस्प यह कि किसी भी विद्यार्थी ने सांसद, विधायक या राजनीति के क्षेत्र को ज्वाइन करके देश व समाज की सेवा का संकल्प लेने वाले नहीं मिले। ऐसा क्यों शायद इस सवाल का जवाब तलाशने की जरूरत है। क्योंकि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बेहतर और सुदृढ़ करने के साथ ही देश की तरक्की के लिए राजनीति में पढ़े-लिखे युवाओं की मौजूदगी बहुत जरूरी है।
विदित हो कि जनपद में यूपी बोर्ड की हाईस्कूल की परीक्षा में 26947 तथा इंटरमीडिएट में 24577 विद्यार्थी परीक्षा उत्तीर्ण हो चुके हैं। यूपी बोर्ड ने जैसे ही दोपहर दो बजे रिजल्ट सार्वजनिक किया। उत्तीर्ण छात्र-छात्राएं व उनके परिवार के लोग खुशी से झूम उठे। यह पल इनके लिए बेहद खास था। छात्रों का परिवार जहां बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामनाएं करता दिखा। वहीं विद्यार्थी भी आगे की चुनौतियों का सामना करने और उसे सफलता में तब्दील करने के लिए संकल्पवान हुए। इस दौरान बातचीत में युवाओं में आगे चलकर डाक्टर, इंजीनियर, आईएएस व आईपीएस अधिकारी व वैज्ञानिक बनकर देश व समाज की सेवा में अपनी भागीदारी की बात कही। लेकिन इस सुखद अवसर पर बातचीत के दौरान छात्र जो युवावस्था की दहलीज पर पहुंच चुके हैं। किसी एक ने भी राजनीति में आकर सांसद व विधायक बनने की अपनी इच्छा को जाहिर नहीं किया। यह बात कोई नयी नहीं है, लेकिन यह सोचनीय जरूर है जिस राजनीति का सफर देश व प्रांत की सत्ता की सर्वोच्च कुर्सी तक जाता है आज कल के युवा उस पर चलने के लिए इच्छुक व संकल्पवान नहीं है। ऐसा क्यों है फिलहाल इस सवाल का जवाब ढूंढने की जरूरत है। क्योंकि देश की नौकरशाही के साथ विज्ञान व प्रौद्योगिक क्षेत्र को जिनता होनहार व पढ़े-लिखे युवाओं की जरूरत है। उससे कहीं अधिक देश की राजनीति व सदन को भी ऐसे युवाओं की दरकार है, लेकिन दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि पढ़ा-लिखा नौजवान राजनीति से दूरी बनाए रखना चाहता है। यह परम्परा पुरानी है जिसे आज भी आगे बढ़ाया जा रहा है। एकाध गिने-चुने अपवाद को छोड़ दिया जाए तो न जाने क्यों युवा देश के उत्थान, उन्नति व तरक्की में राजनीति क्षेत्र के जरिए अपना योगदान देने के लिए आगे आने में हिचक रहा हैै। ऐसी स्थिति में जरूरत है युवाओं में राजनीति के प्रति प्रेरित करने की आवश्यकता है, ताकि वे अपने योगदान से देश के लोकतांत्रिक ढांचे को सुदृढ़ व सशक्त बनाकर राष्ट्र को विकसित देशों की कतार में ले आएं।