Young Writer, चंदौली। जिला कृषि रक्षा अधिकारी राजेश कुमार राय ने सोमवार को बताया कि वर्तमान में खरीफ के अन्तर्गत धान की नर्सरी डालने का समय नजदीक आ गया है, कृषक भाइयों को सूचित करना है कि धान की नर्सरी डालने से पहले बीज शोधन अवश्य कराएं। फसलों में रोग मृदा, वायु एवं कीट द्वारा फैलते है, बीज जनित रोगों का कोई भी उपचार सम्भव नहीं है। अधिक जानकारी के लिए दूरभाष संख्या 9450738395 पर किसान भाई सम्पर्क करें।
इस दौरान जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि विगत वर्षों में जिन कृषक भाइयों ने बीज शोधन अपनाया था, उनके फसल में व्याधि नहीं पायी गयी है। बीज जनित रोगों से आगामी बोई जाने वाली फसल के बचाव हेतु बीज शोधन एवं भूमि शोधन अत्यन्त महत्वपूर्ण है। अतः किसान भाइयों को बीज शोधन एवं भूमि शोधन जैसे महत्वपूर्ण कार्य के प्रति विशेष ध्यान देना होगा।बीज को रात भर पानी में भिगोने के बाद दूसरे दिन पानी से निकालकर अतिरिक्त पानी निकल जाने के बाद 2.5-3 ग्राम कार्वेन्डाजिम 50 प्रतिशत या थीरम 75 प्रति० अथवा 4 से 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा वायो रसायन प्रति किग्रा० बीज की दर से 5 लीटर पानी में 10 ग्राम गुड़ के साथ घोलकर बीज में मिला दिया जाय, इसके बाद छाया में अंकुरित होने तक रखा जाय, तत्पश्चात नर्सरी डाली जाय, साथ ही साथ भूमि शोधन हेतु 25 किग्रा हेक्टेयर ट्राइकोडर्मा या ब्यूबेरिया वैसियाना बायो रसायन को 75 किग्रा० सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर 10-12 दिन तक छाया युक्त स्थान पर रखकर पानी के छीटे मारते रहें तत्पश्चात् इस 75 किग्रा० गोबर की खाद जो कि बायो पेस्टीसाइड में तब्दील हो चुका है। इसे जुताई करके खेत में मिला दें इससे खेत में मौजूद दीमक एवं फफूंद से छुटकारा मिलेगा साथ ही साथ खेत में जैविक खाद की कमी भी पूर्ण हो जायेगी। उपरोक्त बीज शोधन/भूमि शोधन रसायन कृषि रक्षा इकाइयों पर 75 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध है। सभी कृषक भाइयों को यह भी सूचित करना है कि रसायनों पर अनुदान की सुविधा केवल पंजीकृत कृषकों को ही देय होगी, एवं अनुदान का भुगतान डीबीटी के माध्यम से सीधे कृषक के खाते में किया जाएगा।