ललित निबन्धकार व वरिष्ठ साहित्यकार डा. उमेश प्रसाद सिंह का धूमधाम के साथ साहित्यकारो ने मनाया जन्मोत्सव
Young Writer: ललित निबन्धकार डॉ उमेश प्रसाद सिंह का जन्मोत्सव शनिवार को कैलाशपुरी स्थित साईं पब्लिक स्कूल में धूमधाम से समारोह पूर्वक मनाया गया। इस दौरान चंदौली के साथ-साथ काशी के साहित्यकारों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सेन्ट्रल पब्लिक स्कूल के सीएमडी डॉ विनय कुमार वर्मा ने अतिथियों की मेजबानी की। इसके बाद केक काटकर ललित निबन्धकार डॉ उमेश प्रसाद सिंह का जन्मदिन मनाया गया। इस दौरान सहित्यकारों ने डॉ उमेश प्रसाद सिंह का माल्यार्पण करने के साथ ही अंगवस्त्रम, उपहार और पुष्प भेट कर सम्मानित किया।
तत्पश्चात गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें उपस्थित साहित्यकारों ने हास्य प्रस्तुतियों के साथ ही समसामयिक साहित्यिक, सामाजिक और राजनैतिक विषयों पर गंभीर चिंतन-मंथन किया। इसके साथ ही सहित्यकारों ने साहित्य और साहित्यकारों की सामाजिक उपेक्षा और लोगों की साहित्य के प्रति घटती रुचि और रुझान के प्रति भी अपनी चिंताएं व्यक्त की और उसके समाधान को भी अपने बातों और विचारों के माध्यम से गोष्ठी के पटल पर रखने का काम किया। इसके पूर्व सभी ने मिलकर डॉ उमेश प्रसाद सिंह के दीर्घायु होने के साथ ही उनके अच्छे स्वास्थ्य और उनकी यश-कीर्ति में वृध्दि के लिए मंगल कामना की।
इस अवसर पर जाने माने साहित्यकार एल उमाशंकर सिंह ने समाज में साहित्यकारों के घटते सम्मान के प्रति चिंता व्यक्त की और इसे गंभीर विषय बताया। कहा कि आज साहित्य और साहित्यकार दोनों उपेक्षित हैं। आज साहित्य को जानने और पढ़ने वालों की संख्या में भारी कमी आयी है। यही वजह है कि आज साहित्यकारों की संख्या घटकर बहुत कम हो गई है। आज ऐसे छोटे छोटे आयोजन साहित्य में जान डालने का काम कर रहे हैं। साहित्य में कुछ नया करने की जरूरत है ताकि लोग साहित्य से जुड़ें और उनके अंदर साहित्य हो जानने की लालसा और उत्साह पैदा हो। कहा कि अन्वेषण करना मानव का सबसे विशेष धर्म है। हमें साहित्य के क्षेत्र में नए अन्वेषण यानी खोज की जरूरत है, जो साहित्य जगत में नई जान फूंकने और उसे नई पह्चान देने का काम करें।
प्रतिष्ठित साहित्यकार और गजलकार शिव कुमार “पराग” ने डॉ उमेश प्रसाद सिंह को चंदौली ही नहीं पूरे देश का उम्दा साहित्यकार बताया। कहा कि डॉ उमेश प्रसाद सिंह ने उच्च कोटि के ललित निबंधों को अपनी विधा के जरिए सरल बनाकर उसे आम पाठकों को परोसने जैसा अद्भुत काम किया है और वे इस आधुनिक विधा को निरतंर आगे बढ़ा रहे हैं। बताया कि इनका व्यक्तित्व और चरित्र जितना उत्तम और सरल है ठीक उसी तरह से उनकी रचनाएं उत्कृष्ट और उच्च कोटि की होने के बावजूद बेहद सरल और आम पाठकों के लिए सहज उपलब्ध है। यह उनका विशेष गुण ही उन्हें और अधिक विशेष बनाता है। उन्होंने डॉ उमेश प्रसाद सिंह को हिंदी साहित्य का सजग प्रहरी बताया।
एलबीएस कॉलेज को पूर्व प्राचार्य डॉ अनिल यादव ने डॉ उमेश प्रसाद सिंह को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए उनकी रचना हस्तिनापुर एक्सटेंशन के बारे में अपने विचारों को रखा और उनकी इस कृति को उच्च कोटि की रचना बताया। साथ उन्होंने इस पुस्तक के दूसरे संस्करण को पाठकों के निमित्त प्रस्तुत करने का आग्रह भी प्रस्तुत किया। कहा कि डॉ उमेश प्रसाद सिंह की रचनाएं जितनी उच्च कोटि की हैं उनका व्यक्तित्व उतना ही सहज और सरल है। वह हिंदी साहित्य के ऐसे वट वृक्ष हैं जिनकी छांव और सानिध्य में सहित्यकारों की नई पौध तैयार हो रही हैं। उन्होंने अपने अद्भुत और अद्वितीय लेखनी और आचरण से लोगों को साहित्य को डोर से बांधने का काम किया है।
सेवानिवृत्त रेल राज भाषा अधिकारी दिनेश चंद्रा ने भी डॉ उमेश प्रसाद सिंह द्वारा हिंदी साहित्य को दिए गए योगदान पर प्रकाश डाला। कहा कि डॉ उमेश प्रसाद सिंह जैसी शख्सियत शताब्दियों में पैदा हुआ करती हैं। हिंदी साहित्य में उनकी मौजूदगी सौभाग्य की बात है। हम सभी यह मंगल कामना करते हैं कि शताब्दी तक उनका साथ और सानिध्य बना रहे। इसके अलावा दीनानाथ देवेश, रामजी प्रसाद भैरव, प्रकाश चौरसिया, डा शैलेंद्र सिंह, राजनारायण सिंह, आर्य समाज के प्रमख अरुण आर्य, प्रमोद कुमार सिंह “समीर, सुरेश कुमार”अकेला, आशीष रंजन सिंह, सत्यम कुमार वर्मा, श्याम नारायण सिंह, शमशाद अंसारी आदि ने भी अपने-अपने विचारों को रखा।
अंत में संचालन कर रहे डॉ विनय कुमार वर्मा ने कहा कि डॉ उमेश प्रसाद ही आज देश के बड़े सहित्यकारों में शुमार हैं। बड़ी राजनीतिक हस्तियों और नामची न लोगों से सीधा संवाद और सम्बधों के बावजूद ये बेहद सरल और सर्वसुलभ हैं जो उनके व्यक्तित्व को अत्यंत विशेष बनाता है। कहा कि हम सभी ने डॉ उमेश प्रसाद सिंह के सानिध्य में बहुत कुछ सीखा है और आज भी सीख रहे हैं। इनकी मौजूदगी हम सभी को कुछ नया और अलग करने की ऊर्जा और उत्साह प्रदान करती है। इसके साथ ही उन्होंने 31 जुलाई को प्रस्तावित कार्यक्रम की रूपरेखा पर विस्तार से प्रकाश डाला।