बोल बम के नारों से गूंजता रहा डीडीयू रेलवे स्टेशन विभिन्न ट्रेनों से बाबा धाम के लिए रवाना हुआ जत्था
Young Writer, Kanwariya News: डीडीयू नगर स्टेशन बोल बम के नारों से स्थानीय रेलवे स्टेशन गुंजायमान हो गया है। सावन की शुरूआत में बाबा वैद्यनाथ को जल चढ़ाने के लिए दूसरे रविवार को कांवड़ियों को जत्था विभिन्न ट्रेनों से बाबा धाम के लिए रवाना हुआ। इस दौरान विभिन्न ट्रेनों में कांवड़ियों की अत्यधिक भीड़ रही। भीड़ को संभालने में आरपीएफ और जीआरपी को पसीने बहाने पड़े।
सावन माह (Shravan Maas) में बाहर ज्योर्तिलिंगों में एक झारखंड के देवघर जिले में स्थित बाबा वैद्यनाथ धाम के जलाभिषेक के लिए चंदौली जिले के साथ साथ पूर्वांचल से बड़ी संख्या में भक्त कांवड़ लेकर जाते हैं। कांवड़िए गेरुआ वस्त्र पहन कर नंगे पैर डीडीयू स्टेशन से सुल्तानगंज के लिए ट्रेन पकड़ते हैं। सुल्तानगंज में गंगा नदी में कांवड़ में जल लेकर बोल बम का नारा लगाते हुए कांवड़िए 110 किमी का पैदल रास्ता तय कर वैद्यनाथ धाम पहुंचते हैं और बाबा का जलाभिषेक करते हैं। वहीं कुछ भक्त यहां से सीधे जसडीह स्टेशन पहुंचते हैं और वहां से सटे बैद्यनाथ धाम पहुंच कर दर्शन पूजन करते हैं।
सोमवार को बाबा के जलाभिषेक करने की चाहत अधिक कांवडियों में होती है। रविवार को भी बड़ी संख्या में कांवड़िए वैद्यनाथ धाम के लिए रवाना हुए। इस दौरान स्टेशन परिसर बोल बम के जयकारे से गुंजायमान रहा। कांवड़ियों की भीड़ को देखते हुए रेलवे स्टेशन पर रेलवे व्यवस्था भी कड़ी कर दी गई है। राजकीय रेलवे पुलिस के प्रभारी निरीक्षक सुरेश कुमार सिंह और आरपीएफ प्रभारी निरीक्षक प्रदीप कुमार रावत की देख रेख में पूरे स्टेशन परिसर का चक्रमण किया। वहीं कांवड़ियों को फरक्का, ब्रह्मपुत्र मेल, बाबा वैद्यनाथ धाम एक्सप्रेस, सूरत भागलपुर, विक्रम शिला एक्सप्रेस, आनंद विहार गुवाहाटी एक्सप्रेस सहित अन्य ट्रेनों में कांवड़ियों की अत्यधिक भीड़ रही।इस दौरान आठों प्लेटफार्म, प्लेटफार्म पर खड़ी ट्रेनों, फुटओवर ब्रिज,यात्री हाल, सर्कुलेटिंग एरिया में जागरूकता अभियान चलाया गया। इस दौरान यात्रियों को चलती ट्रेन में सवार न होने, पायदान पर यात्रा न करने, यात्रा के दौरान सावघान रहने के लिए जागरूक किया गया। वहीं कांवड़ियों को असुविधा न हो इसके लिए सादे वेश में महिला पुरुष पुलिस कर्मी तैनात होंगे। इस दौरान सीएसजी के नेतृत्व कमर्शियल विभाग के लोग भी चक्रमण करते रहे।