06 कंपोजिट विद्यालय वनभीषमपुर।
07 कंपोजिट विद्यालय वनभीषमपुर में स्मार्ट क्लास में पढ़ते स्कूली बच्चे।
सुदूर इलाके में पेड़ों व पहाड़ों पर चढ़कर नेटवर्क तलाशते हैं ग्रामीण
Young Writer, इलिया। डिजिटल इंडिया के जमाने में नो नेटवर्क! मोबाइल नेटवर्क से वंचित कई गांव, कॉल से बात या ऑनलाइन काम के लिए पेड़, पहाड़, या फिर कई किलोमीटर दूर ग्रामीण मशक्कत के साथ नेटवर्क सर्च करने पैदल जाते है। एक तरफ भारत को डिजिटल बनाने की कवायद जारी है, वहीं दूसरी तरफ कई ऐसे गांव है जहां आज भी लोगों को 5जी का लाभ उठाना तो दूर, बात करने के लिए नेटवर्क न होने से मोबाइल की घंटियां तक नही बजती। चन्दौली के शहाबगंज व नौगढ़ क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क नहीं होने की वजह से यहां के लोग बदलते समय में पीछे रह गए।
देश में जहां एक ओर डिजिटल क्रांति की लहर है वहीं दूसरी ओर चन्दौली जिले के शहाबगंज ब्लॉक के वनभीषमपुर, तालातेनुई, ताला बिचबनवा, ढोढनपुर, छित्तमपुर, बेलावर जैसे गांवों में अब तक मोबाइल नेटवर्क नहीं पहुंच पाया है, जिससे यहां लोग इस नो नेटवर्क की समस्या से अक्सर परेशान होते देखे जाते है। वर्तमान में मोबाइल फोन पर बातचीत के जरिये कई काम निपटा लिए जाते है, जिससे भागदौड़ से सभी बच जाते है। लेकिन शहाबगंज के लोगों के साथ ये बेईमानी है। वहीं बच्चों की स्कूली शिक्षा स्मार्ट क्लासेज, बैंक और ऑफिस से जुड़े कार्य, कंप्यूटर शिक्षा के लिए इंटरनेट की आवश्यकता होती है तो इन गांवों में नेटवर्क की कमी के कारण ग्रामीणों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कभी उपेक्षित माना जाने वाला चन्दौली का यह क्षेत्र राज्य सरकार और जिला प्रशासन के प्रयासों के बाद विकास की राह पर…। लेकिन मोबाइल नेटवर्क की कमी के कारण लोगों को राज्य सरकार या केंद्र सरकार से मिलने वाला पूरा लाभ नही मिल पा रहा है।
गौरतलब है कि चन्दौली जिले से केंद्र और राज्य सरकार दोनों को करोड़ का वार्षिक राजस्व प्राप्त होता है, लेकिन चन्दौली जिले के नेता, मंत्री व विधायक व जनप्रतिनिधि कभी भी यहां के पिछड़े इलाके के लोगों की ओर एक बार भी ध्यान नहीं दिया जाता है। सबसे बड़े दुख की बात यह है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का गृह जिला व गृह तहसील होने के बाद भी चकिया क्षेत्र के साथ सौतेला रवैया अपनाया जा रहा है। यह समस्या केवल चन्दौली जिले के शहाबगंज ब्लॉक की ही नही बल्कि नौगढ़ ब्लॉक के अधिकांश गावों की है। ग्रामीणों ने बताया कि हाईस्पीड इंटरनेट का दावा कर रही कंपनियों का गांव मे नेटवर्क नहीं है। वर्तमान समय में प्रत्येक कार्य अब ऑनलाइन हो गया है। कक्षा पहली की पढ़ाई से लेकर महाविद्यालय की प्रवेश और परीक्षा फॉर्म भी ऑनलाइन हो चुका है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधा के अभाव में बच्चे शिक्षा से लेकर हर क्षेत्र में पीछे हो रहे है।
इस डिजीटल युग मे अब भी ग्रामीण संचार सुविधा से कोसों दूर होने के कारण गांवों के सरकारी स्कूलों में बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई, महिला के प्रसव, दुर्घटना, आगजनी व पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण सांप, बिच्छू सहित अन्य जहरीले जानवरों के काटने की जैसी घटनाएं होने पर एम्बुलेंस को सूचना देने में काफी परेशानियां होती है। ऐसे में कोई हादसा होने पर गांवों में रहने वाले लोगों को सरकार की योजनाए एम्बुलेंस, डायल 112 की मदद नहीं मिल पाती है। पहाड़ी क्षेत्र से घिरा होने के कारण दूर दूर तक मोबाइल नेटवर्क नहीं मिल पाता है। अगर किसी को बहुत जरूरी बात करनी हो तो चिन्हित पेड़ या पहाड़ी पर चढ़ना पड़ता है। रात में कोई इमरजेंसी होने पर सुबह होने का इन्तेजार करना पड़ता है। इस बाबत CDO CHANDAULI एसएन श्रीवास्तव ने बताया कि बीएसएनएल की सर्वेयर टीम सर्वे कर चुकी है। जिले में BSNL का कार्य सकलडीहा तहसील में चल रहा है। उसके बाद शहाबगंज व चकिया क्षेत्र में कार्य कराया जाएगा। लगभग दो माह के भीतर समस्या खत्म हो जाएगी।
सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में आ रही बाधा
इलिया। नेटवर्क समस्या के कारण पंचायती राज विभाग द्वारा संचालित सभी योजनाएं भी दम तोड़ती नजर आ रही है। ग्राम प्रधान ढोढनपुर राम आशीष सिंह ने कहा कि ग्रामीणों को पंचायत भवन से जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र लेने में समस्या हो रही है। वहीं पंचायत विभाग द्वरा कराये गए कार्यों की पत्रावली फीडिंग व डोंगल लगाने के साथ साथ मनरेगा में मोबाइल मॉनिटरिंग मनरेगा मजदूरों का ऑनलाइन एनएमएस नहीं हो पाने से मजदूरों का मनरेगा मजदूरी भुगतान समय से नहीं हो पाता है। नेटवर्क की समस्या के लिए ब्लॉक, तहसील से लेकर जिलाधिकारी के यहां तक फरियाद लगाई जा चुकी है। बावजूद हम लोग डिजिटल इण्डिया से कोसों दूर है। हम लोग यह समस्या जब से देश आजाद हुआ है तब से झेलते आ रहे है। एहसान अली ने बताया कि नो नेटवर्क की समस्या को लेकर 7 जनवरी 2023 को विकास खण्ड शहाबगंज के ग्राम सभा मालदह में आयोजित जन चौपाल में पूर्व में रही जिलाधिकारी ईशा दुहन को पत्रक देकर पहाड़ी इलाके को मोबाइल नेटवर्क से जोड़ने की मांग किया गया था पर आज तक नो नेटवर्क की समस्या का निराकरण नहीं हो पाया।