अलौकिक व अद्भुत शादी एक-दूजे के साथी बने अजीत व प्रियंका
Young Writer, चंदौली। चंदौली के दो घराने गुरुवार को एक अलौकिक व अद्भुत मांगलिक कार्यक्रम के साक्षी बने। चंदौली जिला-जवार की यह पहली शादी होगी जहां विवाह संस्कार से पूर्व सामाजिक संस्कार व दायित्वों का निर्वहन हुआ। बकायदा दुल्हा-दुल्हन के साथ ही उनके सामाजिक सरोकार व कार्यों में सहगारी रहने वाले साथियों ने रक्तदान कर मांगलिक कार्यक्रम के रंग को और चटख बना दिया। इस दौरान शहनाई की गूंज के साथ-साथ समाज ने दुल्हा-दुल्हन के इस अभिनव प्रयास को जमकर सराहना की। इसके अलावा शादी समारोह में वृद्धाश्रम के वृद्धजनों का सम्मान व उनकी उपस्थिति ने विवाह कार्यक्रम के रौनक को बढ़ा दिया। शाम होते-होते दुल्हा-दुल्हन के हाथों में लगी मेंहदी का रंग चढ़ा तो विवाह संस्कार की समस्त विधि-विधान को वर-वधू के घरवाले पूरा करने में जुट गए।

दरअसल चंदौली निवासी अजीत सोनी युवा अवस्था में ही समाजसेवा के कार्य में जुट गए। समाज की सेवा करते-करते इनकी मुलाकात प्रियंका गुप्ता से हुई और अन्य साथी भी इनके मुहिम से जुड़ते गए। समाजसेवा का जुनून इनके सिर इस कदर चढ़ा कि इन्होंने जनसहयोग संस्था ट्रस्ट को 2019 में स्थापित कर समाजसेवा के कामकाज को औपचारिक रूप से आधिकारिक बना दिया। इस दरम्यान समाज के असहाय व अशक्त जनों के लिए मदद के गांठ जोड़ते-जोड़ते अजीत सोनी व प्रियंका के प्रेम की गांठ कब जुड़ गयी। इन दोनों को पता ही नहीं चला। इनका प्रेम सकारात्मक रहा और समाज को समर्पित रहा। यही वजह है कि राधा-कृष्ण की तरह बीतते समय के साथ पावन व प्रगाढ़ होता गया और जब इन दोनों लोगों को लगा कि अब उन्हें अपने प्रेम को सामाजिक संस्कार के धागे बांध लेना चाहिए तो उन्होंने अपने-अपने परिजनों तक इस बात को रखा और परिजन भी खुशी-खुशी इस मांगलिक मिलन के लिए तैयार हो गए। 21 अप्रैल यानी गुरुवार को पावन बेला आयी, जब अजीत सोनी व प्रियंका दोनों परियण सूत्र में बंधे। इस बंधन में बंधने की अपने मांगलिक कार्यक्रम को भी इन दोनों ने अपने प्रयास से इसे समाज को समर्पित कर एक नया संदेश दिया। वास्तव में इनकी अलौकिक व अद्भुत शादी समाज के लिए एक प्रेरणा व सीख है जो कई जरूरत मंदों की जरूरत को पूरा करने के लिए भविष्य में प्रभावी साबित हो सकता है। फिलहाल इस अद्भुत शादी में लोग शरीक हुए और वर-वधू को दिल से दुधाएं दी और उनके सुखमय व सफल दाम्पत्य जीवन का आशीष देकर लौटे।

