Young Writer, पड़ाव। 1 जनवरी को नववर्ष पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति स्थल में हजारों सैलानियों का सैलाब उमड़ पड़ा। उक्त प्रांगण मे प्रवेश पाने के लिए खिड़की के बाहर सैलानियों द्वारा टिकट के लिए खूब जद्दोहद करना पड़ा। जबकि विकास प्राधिकरण द्वारा 20 रु० प्रति व्यक्ति लिया जा रहा है। किन्तु जो व्यवस्थाएं होनी चाहिए वैसी कुछ भी व्यवस्था नहीं थी क्योंकि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 63 फीट ऊंंची प्रतिमा के सामने कुंड में जो पानी था वह भी काफी गंदा हो चुका है और कृतिम झरना भी बना हुआ है लेकिन हजारों सैलानियों के बावजूद भी उसे चालू नहीं किया गया।
एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन और विचारों से लोगों को अवगत कराने के लिए पड़ाव पर दीनदयाल उपवन को स्थापित किया गया है। यहां की एक–एक वस्तु को भव्यता देने का भरपूर प्रयास किया गया है‚ चाहे वह पंडित दीनदयाल की प्रतिमा हो या फिर उनकी जीवनी पर आधारित थ्रीडी फिल्म सबकुछ इस तरह संयोजित किया गया है कि देखने वाले के मन में दीनदयाल की जीवनी उतर आए और उसके विचारों में उनका जीवन उभर आए। हालांकि एक जनवरी को थ्रीडी फिल्म को नहीं दिखाया गया। ना ही विडिये द्वारा वाहन स्टैंड की भी व्यवस्थाएं की गयी जिससे सैलानियों द्वारा यहां-वहां वाहन खड़ा कर देने से स्थानीय चौराहा दिनभर जाम जैसी स्थिति बनी रही हालाकि इस दौरान पुलिस मुस्तैद रही वही इस संबंध में 25 दिसंबर को विकास प्राधिकरण के जोनल अधिकारी देवचंद राम से पूछने पर बताया गया था कि 1 जनवरी को कुंड में साफ पानी भरने के साथ-साथ कृतिम झरना को भी और जितनी व्यवस्थाएं उक्त संग्रहालय में है उसे पूरी पावर के साथ चालू कर दिया जाएगा उसके बावजूद ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला बस विकास प्राधिकरण के रखे गए कर्मचारियों द्वारा बस धन उगाही में व्यस्तता देखने को मिली।