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Tuesday, July 1, 2025

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पंडित कमलापति त्रिपाठी के बिना अधूरा है चंदौली का अस्तित्व

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कमलापति से मिला चंदौली को मिला उन्नति, आर्थिक गति व उजियारा
Young Writer, चंदौली। धान का कटोरा यानी चंदौली। गंगा के तटीय इलाके में बसा चंदौली को असल अस्तित्व पंडित कमलापति त्रिपाठी ने दी। उन्होंने चंदौली को अपनी कर्मस्थली बनाया। इसके साथ ही उन्होंने इसे अपने प्रयासों व तपस्या से सींचा और विकास का खाका खींचकर उस पर विकास की नीव रखी और अपने निगरानी में इस मजबूत नींव पर विकास की इमारत को बुलंदी दी। यह कहा जाए कि आज चंदौली में जो कुछ है पंडित कमलापति की देन है तो यह कहना कहीं से भी गलत नहीं होगी। पंडित कमलापति निर्विवाद और सर्वदलीय लोगों की पसंद वाले नेता थे। यही वजह है कि आज भी मंच चाहे किसी भी दल का सजे विकास का जिक्र उनके नाम के बगैर पूरा नहीं होता।

पंडित कमलापति त्रिपाठी के प्रयासों की बात करें तो उन्होंने चंदौली को कृषि प्रधान जिला बनाने में बड़ी भूमिका अदा की। किसानों की सिंचाई की समस्या ने उनके दिल पर गहरा आघात किया। इसके बाद उन्होंने चंदौली के एक-एक इंच कृषि भूमि को सिंचित करने का संकल्प लिया और इसी संकल्प को अपनी दृढ़ता व मजबूत इच्छा शक्ति के जरिए जमीनी स्वरूप प्रदान किया। आज चंदौली के किसी भी कोने में यदि नहर, माइनर व रजवाहा दिख जाए तो आप यह स्वतः मान लें कि इसकी नींव पंडित कमलापति त्रिपाठी के प्रयासों का प्रतिफल है। इसके अलावा उन्होंने चंदौली में तकनीकी शिक्षा का बंदोबस्त करते हुए चंदौली पालीटेक्निक कालेज की स्थापना की। साथ ही उच्च शिक्षा के लिए राजकीय डिग्री कालेज की स्थापना की, जिसे आज लोग पंडित कमलापति त्रिपाठी राजकीय डिग्री कालेज के नाम से जानते व पहचानते हैं। उस वक्त चिकित्सा सेवा के लिए लोगों को परेशान व हलकान होता देख पंडित कमलापति त्रिपाठी ने जिला अस्पताल चंदौली की स्थापना की। उनका यह प्रयास न केवल चंदौली के लोगों के लिए मरहम का काम किया, बल्कि समीपवर्ती बिहार प्रांत के लोग भी इस प्रांत से आच्छादित व लाभान्वित हुए और आज भी हो रहे हैं।

इतना ही नहीं कर्मनाशा व गंगा नदी में कैनालों को स्थापित कराकर कृषि के क्षेत्र में नई क्रांति लाने का काम किया। कृषि सेक्टर से उनके लगाव व जुड़ाव का असर रहा कि चंदौली का किसान फसलों की उम्दा पैदावार कर मालामाल हो उठे। धान की उत्पादकता रिकार्ड स्तर पर हुई तो चंदौली की ख्याति सूबे में फैली फिर राष्ट्रीय स्तर पर चंदौली ने धान के कटोरे के रूप में अपनी पहचान को स्थापित किया। आज चंदौली से धान की रिकार्ड पैदावार जारी है। साथ ही चावल निर्यात के मामले में चंदौली अन्य जिलों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है। यही वजह है कि आज पंडित कमलापति त्रिपाठी के नाम के बिना चंदौली की बात पूरी नहीं होती। उन्होंने चंदौली के लोगों की बुनियादी सुविधाओं का ख्याल रखा और विकास का ढांचा चहुंओर खड़ा करके उसे आमजन को समर्पित कर दिया। इसके अलावा उन्होंने चंदौली के लोगों केा ढिबरी युग से उबारने के लिए जगह-जगह पावर सबस्टेशन की स्थापना की, जो आज पूरे जनपद को रौशन करने का काम कर रहे हैं। उनके विकास कार्यों व योगदान के बारे में लोग कहते हैं कि उनकी छोड़ी हुई विरासत को जिला प्रशासन व शासन संभाल ले तो चंदौली जिले में हमेशा में उन्नति की फसल लहलहाती रहेगी। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि आज उनके द्वारा स्थापित सार्वजनिक सम्पत्तियां संरक्षण व मरम्मत के अभाव में दरक रही हैं। बात चाहे नहरों की हो या फिर शैक्षणिक संस्थाओं सबकुछ जीर्ण-शीर्ण अवस्था को प्राप्त हो चुकी है।

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