Young Writer, धानापुर। गंगा को स्वच्छ एवं निर्मल बनाने के लिए सरकार लाख कवायद कर रही है और अरबों रुपये स्वच्छता मिशन पर खर्च किए जा रहे हैं। बावजूद इसके गंगा का पानी दिन प्रतिदिन प्रदूषित बढ़ता जा रहा है। क्योंकि गंगा में मल-मूत्र व नाले का गंदा पानी बहाया जा रहा है। साथ ही अन्य प्रकार के अपशिष्ट निरंतर गंगा की धारा में बहाया और गिराया जा रहा है, जिसकी ज्वलंत नजीर नरौली गंगा पर देखने को मिली।
क्षेत्र के नरौली गंगा घाट पर नाले का मल व गंदा सीधे गंगा नदी में प्रवाहित हो रहा है। घाट पर बसी आबादी के घरों के गंदा पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण गंदा पानी नालियों से होते हुए नाले में गिरता है। यही गंदे पानी का पानी गंगा के जल को प्रदूषित कर रहा है। जिसे लेकर कई लोगों ने आपत्ति जताई। साथ ही गंदे पानी की निकासी का समुचित प्रबंध किए जाने की आवश्यकता जताई, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया। नतीजा खुले नाले के जरिए मल, प्लास्टिक व गंदा पानी सीधे गंगा नदी में मिलकर वहां के जल को प्रदूषित कर रहा है। इससे नरौली गंगा घाट के आसपास गंगा का पानी अब आचमन योग्य नहीं रह गया है। इससे गंगा के प्रति आस्था रखने वाले लोग भी काफी आहत हैं। उनकी मांग है कि जगह-जगह गंदा नदी में गिर रहे गंदा पानी को रोका जाय। इसके अलावा गंदे पानी को शोधित कर कूड़ा-कचरा व अन्य प्रदूषित करने वाले कारकों को अलग करके ही गंदा में नाले के पानी को छोड़ा जाय, जिससे गंगा नदी में तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण को कम किया जा सके।