आपातकाल के दौरान दोनों सगे भाइयों लालचंद व भोला पासवान ने लाल चौक पर दिया था सर्वोच्च बलिदान
Young Writer, Chandauli: अतीत की यादों में खो चुके आपातकाल के दौरान आंदोलन के नायक रहे भोला पासवान व लालचन्द पासवान के सम्मान की लड़ाई समाजवादी नेता दिलीप पासवान लड़ने की तैयारी में है। वे जब भी बबुरी कस्बा जाते हैं लाल चौक की मिट्टी को स्पर्श कर इतिहास के पन्नों में दबकर गुमनाम हो चुके दोनों सगे भाई लालचन्द पासवान व भोला पासवान की शहादत को याद करते हैं, जिन्होंने आजादी के बाद देश के पहले आंदोलन में महंगाई, मजदूर व बेरोजगारी के खिलाफ मुखर हुए और सर्वोच्च बलिदान देने का काम किया। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह कि उनके योगदान को आगे आने वाली सरकारों ने भुला दिया और उसे मिटाने का काम किया।

लेकिन सरकारों को यह पता नहीं कि आज भी दोनों संगे क्रांतिकारी भाई अपने समाज और क्षेत्र व जनपद के लोगों के दिलों में आज भी शोला बनकर धधक रहे हैं। शायद यही वजह है कि इन क्रांतिकारियों का ना तो कभी जिक्र किया गया और ना ही उन्हें सम्मान देने की ही कभी पहल की गई। दिलीप पासवान कहते हैं कि सरकारें आज भी जाति-पाति देख रही हैं। दलित व अतिपिछड़े समाज के लोगों को इतिहास के पन्नों को उचित स्थान व उन्हें सम्मान देने में भेदभाव किया गया है, लेकिन अब पासवान समाज लालचन्द व भोला पासवान के सम्मान की लड़ाई लड़ेगा। इसके लिए जल्द ही मुहिम चलाई जाएगी। बताया कि 19 जनवरी 1982 को मजदूर विरोधी महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ ट्रेड यूनियन ने हड़ताल का नारा दिया था। उक्त आंदोलन आजाद भारत का पहला आंदोलन था जो पूरे देश में प्रभावी था।
उस दरम्यान भोला पासवान व लालचंद पासवान ने सरकार के गलत नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद किया। ऐसे में महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उठाने पर आखिरकार पुलिस ने लाल चौक पर दोनों क्रांतिकारी भाइयों को गोली मार दिया और दोनों वहीं शहीद हो गए। इसके बाद कई सरकारें बनी और बदली। लेकिन दलित होने के कारण आज तक जो सम्मान लालचंद पासवान व भोला पासवान को मिलना चाहिए वह नहीं मिला। बताया कि दोनों क्रांतिकारी भाइयों की शहादत को 43 वर्ष हो गए, लेकिन किसी भी राजनीतिक पार्टी ने उन्हें सम्मान देने की पहल नहीं की। कहा कि पासवान समाज आज भी बहुत ही पिछड़ा समाज है, लेकिन हमें अपने पूर्वजों का इतिहास जानना होगा और सभी को बताना होगा, अन्यथा हमारा इतिहास दबा दिया जाएगा क्योंकि पासवान समाज का इतिहास बहुत ही गौरवपूर्ण रहा है।
उन्होंने पासवान समाज का आह्वान किया कि दोनों भाइयों को सम्मान दिलाने की इस लड़ाई में आगे आएं और आंदोलन में अपनी सहभागिता व भागीदारी सुनिश्चित करें। आरोप लगाया कि सभी राजनीतिक दल पासवान समाज का वोट लेना चाहती है, लेकिन जब समाज के क्रांतिकारी व वीर पुरुषों को सम्मान देने की बात आती है तो अपने कदम पीछे खींच लेती है। लेकिन अब ऐसा दोहरा आचरण पासवान समाज के लिए नहीं चलेगा। मांग किया कि शहीद लालचंद पासवान और भोला पासवान के नाम पर शहीद स्मारक स्थल व पार्क का निर्माण कराया जाए, जहां भोला पासवान व लाल चन्द्र पासवान की प्रतिमा को स्थापित हो सके। यह उनके सर्वोच्च बलिदान के प्रति श्रद्धांजलि होगी।