Young Writer, चंदौली। नगर के मदरसा जामियां इत्तेहादुल उलूम में सोमवार की रात कुरआन तरावीह मुकम्मल हुई। इस दौरान हाफिज मुश्ताक अहमद ने कुरआन तरावीह पढ़ाई। तरावीह मुकम्मल होने के बाद तकरीर करते हुए उन्होंने आह्वान किया कि कुरआन के मायनों को अपने जीवन में मुस्लिम बंधु उतारें। नमाज, कुरआन की तिलावत के साथ ही दूसरे के प्रति नरमी से पेश आने की बात कही। कहा कि कुरआन और हदीस में मानव जीवन को सहजता व सरलतापूर्वक जीने के तौर-तरीकों पर रौशनी डाली गयी है, लिहाजा जो भी इसकी तिलावत करता है वह उसके मायने को भी अपने जीवन में उतारने का काम करें।
इस मौलाना इलियास कादरी ने कहा कि रमजान के महीने में ही कुरआन शरीफ नाजिल हुआ है। इंसान ने कुरआन को अपने सीने में महफूज कर लिया। इसलिए कुरआन की अहमियत बहुत ज्यादा है। रमजान माह में कुरान पढ़ना और सुनना अल्लाह को अच्छा लगता है। कहा कि रमजान माह में कुरान तरावीह ही पढ़कर काम खत्म नहीं हो जाता है, बल्कि सुन्नत तरावीह भी पूरे रमजान माह तक पढ़ना चाहिए। कहा कि रमजान माह की आखिरी रात में जिस दिन ईद का चांद दिखता है। रोजेदारों को रोजे रखने, तरावीह पढ़ने और कुरआन की तिलावत करने की मजदूरी मिल जाती है। दस्तूर यह है कि मजदूर को काम खत्म होने के वक्त मजदूरी दे दी जाती है यानी पूरे रमजान माह में जो रोजे रखे, तरावीह पढ़ी, कुरआन की तिलावत की। उसका मेहनताना अल्लाह रमजान की आखिरी रात में दे देता है। अंत में हाफिज मुश्ताक ने सभी के मगफिरत व देश में अमन-चैन कायम रहे इसको लेकर दुआ की। इस मौके पर हाफिज सगीर अंसारी, कारी अली अहमद, हाफिज मल्लू, हाजी दाउद अंसारी, डा. मोहम्मद अली, फिरोज खान, राशिद खान, शाहिद खान, शमीम अंसारी, जावेद अंसारी, शमशेर खान, शमद खान, शाहिद खान, अकबर अली, तबरेज अंसारी, शाजिद अंसारी, रिजवान हाशमी, फुरकान खान, एैनुल हाशमी, आशिफ अंसारी, शहनवाज अंसारी, इबरार अली, मुख्तार राइन, अनीस अंसारी, यासिर हाशमी, जहरूद्दीन अंसारी, सरवर आलम, मेराज सहित अन्य लोग मौजूद रहे।