गोरारी के युवा प्रगतिशील किसान शिवम सिंह लकी ने प्रयोग के तौर पर की केसर की खेती
Young Writer, स्टोरी क्रेडिट लारेंस सिंह
चंदौली। केसर यानी लाल सोना। केसर का नाम आते ही कश्मीर की सुंदर वादियों का परिदृश्य स्वतः ही याद आ जाता है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जिस केसर की पहचान कश्मीर से जुड़ी है वह अब धान के कटोरे में भी लहलहा रही है। यह सुनने में थोड़ा अलग व आश्चर्यजनक लगेगा, लेकिन यह शाश्वत है। धान की रिकार्ड पैदावार करने वाले किसान अब केसर भी उगा रहे हैं ताकि उनकी उन्नति व तरक्की को चार चांद लग सके। ऐसे ही एक प्रगतिशील व युवा किसान हैं लकी सिंह जिन्होंने एक बिस्वा में इसकी खेती कर रखी है। उन्हें इसकी प्रेरणा, जानकारी व सीख मिली तो उन्होंने भी उसे अपने खेतों में उगाने की ठान ली। इसके बाद उन्होंने 40 हजार रुपये खर्च कर केसर के बीज मंगाए और उसे तय तौर-तरीकों के मुताबिक बुआई की और अब उनके खेतों में केसर की फसल खड़ी है, जिसे देखकर लकी सिंह बेहतर प्रसन्न हैं क्योंकि यह मात्र एक ट्रायल था जो अब सफल होता दिख रहा है यदि केसर की उन्नत खेती सफल रही तो वे अगली बार बड़े पैमाने पर केसर की खेती करेंगे, ताकि मुनाफे को बड़ी आमदनी में बदला जा सके।
गोरारी निवासी प्रगतिशील किसान शिवम सिंह ‘लकी’ ने बताया कि खेती के आधुनिक तौर-तरीकों को जानना और उसे अमल में लाना का शौक पुराना है। उन्होंने यूट्यूब पर केसर की खेती के बारे में देखा और जाना तो इनके अंदर भी केसर की खेती करने की लालसा पैदा हुई। यूट्यूब से अपने जनपद के मौसम के अनुकूल केसर की वैरायटी के बारे में जानकारी एकत्रित करने में जुट गए। ऐसे में उन्हें केसर की अमेरिकन प्रजाति के बारे में पता चला, जो चंदौली के वातावरण के अनुकूल था। इसके बाद उन्होंने इसकी मंडी के बारे में पता किया और राजस्थान के जयपुर पहुंचे और 40 हजार रुपये में बीज खरीदा। फिलहाल उन्होंने नवही व गोरारी स्थित अपनी नर्सरी परिसर में केसर की खेती एक बिस्वा में कर रखी है जो 120 दिनों में पूरी तरह से तैयार हो जाएगी। शिवम सिंह ‘लकी’ ने बताया कि फसल तैयार होने के बाद बनारस मंडी में इसे बेचने की योजना है। बताया कि प्रयोग सफल रहा और मुनाफा अच्छा हुआ तो इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाएगी। ताकि मुनाफे को बड़ी आमदनी में बदला जा सके।
केसर की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
चंदौली। केसर की खेती में रेतीली चिकनी बलुई और दोमट मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है, किन्तु वर्तमान समय में उचित देखरेख कर इसकी खेती को राजस्थान जैसे शुष्क राज्यों में भी किया जा रहा है। केसर की खेती के लिए जल भराव वाली जगह नहीं होनी चाहिए, क्योंकि जलभराव की स्थिति में इसके बीज सड़कर नष्ट हो जाते है। इसकी खेती के लिए भूमि का पीएच मान सामान्य होना चाहिए।
केसर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान
चंदौली। केसर की खेती बर्फीले क्षेत्रों में अधिक होती है, केसर का उत्पादन सर्दी, गर्मी और बारिश तीनों ही जलवायु में होता है, सर्दियों में पड़ने वाली बर्फ और गीला मौसम इसके फूलों में होने वाली वृद्धि को रोक देता है जिससे बाद में नए फूल अधिक मात्रा में निकलते है, जो इसके लिए काफी अच्छा होता हैं जब सूर्य की गर्मी से बर्फ पिघलने और जमीन सूखने लगती है, तब इसके पौधों में फूल आना आरम्भ होने लगते है, इन्हीं फूलो में केसर लगता है। लगभग 20 डिग्री के तापमान पर इसके पौधे अच्छे से वृद्धि करते है, तथा 10 से 20 डिग्री के तापमान पर इसके पौधे फूल बनने लगते है।
कश्मीरी मोंगरा किस्म का केसर
चंदौली। वर्तमान समय में केसर की केवल दो ही किस्में मौजूद है। यह केसर कश्मीरी और अमेरिकन नाम से जानी जाती है, भारत में अमेरिकन केसर को अधिक मात्रा में उगाया जाता है। कश्मीरी केसर सबसे महंगी मानी जाती है, दुनियाभर में इस केसर की कीमत 3 लाख रूपए प्रति किलो से भी अधिक है। जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ और पंपोर में इस किस्म की केसर की खेती को किया जाता है। इसके पौधे 20 से 25 सेंटीमीटर ऊचाई तक बढ़ते है। इन पौधों पर बेंगनी, नीले और सफ़ेद रंग के फूल निकलते है, यह फूल आकार में कीप नुमा होते है। इन फूलो के अंदर दो से तीन लाल-नारंगी रंग के तन्तु (पंखुडियां) होती है, फूलो के अंदर उपस्थित यह तन्तु ही केसर होता है। लगभग 75 हज़ार फूलों से 450 ग्राम ही केसर प्राप्त होता है।
अमेरिकन किस्म का केसर
चंदौली। केसर की इस किस्म को जम्मू-कश्मीर के अलावा कई जगहों पर किया जा रहा है। इस किस्म का केसर कश्मीरी मोंगरा केसर की तुलना में कम कीमत का होता है। इसके पौधों को किसी खास तरह की जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है। केसर की यह किस्म राजस्थान जैसी शुष्क क्षेत्रों में उगाई जा रही है। इसके पौधे चार से पांच फिट तक की उचाई तक बढ़ते है, तथा पौधों के शिखर पर इसके डंठल बनते है। जिनपर पीले रंग के फूल निकलते है, इन फूलों में ही तन्तु होते है, जिनकी मात्रा बहुत अधिक होती है। इनके लाल हो जाने पर इन्हे तोड़ लिया जाता है।
केसर खाने से होने वाले कुछ अद्भुत फायदे
चंदौली। केसर को अनोखी खुशबू और खास तरह के गुणों के लिए पहचाना जाता है। केसर मानव स्वास्थ के लिए बहुत ही लाभदायक होता है, केसर का मूल्य अधिक होने के चलते इसे लाल सोना भी कहा जाता है। औषधीय और गुणकारी पौधा होने के कारण इसका उपयोग प्राचीन काल से ही आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में होता रहा है। इसी तरह केसर को साबुन तथा सौन्दर्य प्रसाधन की चीज़ों के रूप में भी उपयोग में लाया जाता है। गर्भावस्था में महिलाओं के लिए ये बहुत ही लाभकारी साबित होता है। इसे दूध में मिलाकर पीने से स्वास्थ्य तंदरुस्त बनी रहती है और होने वाले बच्चे पर भी इसका अच्छा प्रभाव पड़ता है। वहीं आज के भाग दौड़ के दौर में ब्लड प्रेशर को सामान्य रखना बहुत मुश्किल साबित होता जा रहा है अगर आप इसका इस्तेमाल रोजाना करते हैं तो इससे आपको काफी हद तक निजात मिल सकता है।