Young Writer, कंदवा। क्षेत्र के ग्रामसभा अमड़ा में श्री रामलीला समिति की ओर से रामलीला का भव्य आयोजन किया गया। समिति के संस्थापक स्वर्गीय कृष्ण पाठक एवं स्वर्गीय भगवती सिंह को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के साथ ही प्रभु श्रीराम का वंदन पूजन से आरंभ किया गया। इस वर्ष श्री रामलीला समिति अमडा़ द्वारा मंचन कि 76वीं वर्षगांठ हर्षाेल्लास पूर्वक मनाया जा रहा है। यहां रामलीला का प्रारंभ स्वतंत्रता वर्ष सन् 1947 से अनवरत किया जा रहा है।
प्रथम दिन कलाकारों ने धनुष यज्ञ का मंचन किया। राजा जनक ने स्वयंवर में प्रण रखी कि जो इस धनुष को प्रत्यंचा चढ़ा देगा उससे मेरी पुत्री सीता का विवाह कराया जाएगा। पर स्वयंवर सभा में रावण बाणासुर में वाक युद्ध प्रारंभ होता है रावण बाणासुर दोनों ही धनुष को नहीं तोड़ सके। गुरु विश्वामित्र की आज्ञा से श्रीराम ने धनुष को उठाकर तोड़ दिया। तत्पश्चात माता सीता ने वरमाला राम को पहनाई। धनुष टूटने पर परशुराम क्रोधित हो उठे। इस पर श्रीराम के अनुज लक्ष्मण ने परशुराम से कहा कि यह धनुष स्पर्श करते ही टूट गया। इसमें हमारा क्या दोष है प्रभु श्रीराम, परशुराम जी से विनय पूर्वक कहते हैं कि बालक की बातों पर कान नहीं दें और इसे क्षमा करें। इस पर परशुराम ने श्रीराम को धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने को कहते हैं। श्रीराम द्वारा धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने पर परशुराम का भ्रम टूट गया और वह तपस्या करने हेतु चले गए। इस अवसर पर हरिओम पाठक, ऋषभ सिंह, परंतु यादव, भानु सिंह, रामअवतार सिंह, दिग्विजय सिंह, राजकुमार ने सहयोग प्रदान किया पात्रों द्वारा किए गए मंचन से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। व्यास एवं निर्देशक की भूमिका में बलराम पाठक, यशवंत पाठक रहें। इस अवसर पर अनिल सिंह, शिवानंद सिंह, शिवकांत सिंह, अंकित सिंह, पप्पू जायसवाल, रामबचन सिंह, समर बहादुर सिंह, विनोद सिंह, अरविंद सिंह उपस्थित रहे।