पोर्ट ब्लेयर निवासी पापिया दास ने भारत के कई यूनिवर्सिटियों से ऑनलाइन सर्टिफिकेट अर्जित किए
Young Writer, Education News: कोविड-19 (Covid-19) जैसी वैश्विक महामारी ने हम सभी से बहुत कुछ छिना। साथ ही इस वैश्विक महामारी ने हमें बहुत कुछ सिखने और सिखाने का अवसर भी दिया। महामारी ने जब पूरे विश्व में सबकुछ रोक रखा था तब ज्ञान के प्रकाश पुंज से निकली अलौकिक किरणों ने जीवन को आगे बढ़ाने का एक नया रास्ता ढूंढा। जी हां! कोविड में विद्यालय और विश्वविद्यालय जब बंद हुए थे तो ऑनलाइन एजुकेशन का नया ट्रेड शुरू हुआ। जिसका इन दिनों जबरदस्त क्रेज देखने को मिल रहा है।
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर (Port Blair) निवासी और पेशे से डिग्लीपुर स्थित जीएसएस रामनगर में जीटीटी इंग्लिश की शिक्षिका एवं इग्नू नई दिल्ली (IGNOU New Delhi) की शोधार्थी पापिया दास ने शिक्षा के इस नए प्लेटफार्म पर जमकर पसीना बहाया और भारत की कई यूनिवर्सिटियों के सर्टिफिकेट अर्जित किए, जो अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है। देश की इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय नई दिल्ली, मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय हैदराबाद, मौलाना आजाद राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, भोपाल और अली यावर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच, कोलकाता जैसी तमाम संस्थानों और यूनिवर्सिटीज से डिजिटल ऑनलाइन क्लास के जरिये ज्ञान अर्जित किया।
वर्तमान समय में सेमिनार की जगह अब वेबिनार के जरिए तमाम शिक्षाविद् एक साथ कई सौ छात्रों और शोधार्थियों से ऑनलाइन रूबरू होकर अपने ज्ञान को बांटने में लगे हैं। शिक्षा के इस नए प्रारूप की जानकारी जब शोधार्थी पापिया दास को हुई तो वे तुरंत इससे जुड़ गयी और अपने खाली वक्त में खुद को ऑनलाइन एजुकेशन से जोड़ दिया। इस दरम्यान उन्होंने लगभग एक दर्जन ऑनलाइन यूजीसी-मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी) कोर्स को पूरा किया और उनके प्रमाण-पत्र अर्जित किए, जिसमें देश के कई प्रतिष्ठित विश्विद्यालय और संस्थान शामिल है।
पापिया दास ने बताया कि आज हम सभी एक प्रतियोगी दुनिया में जी रहे हैं और हमें रोज नई नई चीजों को सोचना और समझना चाहिए। अगर हम आज के शिक्षा के विषय में बात करें तो इसकी भी अपनी चुनौतियाँ है। पारंपरिक शिक्षा के इतर ऑनलाइन शिक्षा भी महत्वपूर्ण होती जा रही है। बताया कि मेरी शिक्षा और अध्ययन समाज को समर्पित है ताकि समाज में शिक्षा के स्तर को और बेहतर बनाने में, मैं अपना योगदान दे सकूं। पापिया दास उन सजग प्रहरियों में शुमार हैं जो दूसरों को शिक्षित बनाने के साथ ही खुद की शिक्षा को लेकर भी बेहद सजग है जो सुदूर अंडमान निकोबार द्वीप समूह से हजारों किलोमीटर दूर नई दिल्ल इग्नू से शोध कर रही हैं।