Young Writer, साहित्य पटल। रामजी प्रसाद “भैरव” की कविताएं
प्रथम अध्याय
उस्ताद ने पान जमाया ही था कि एक मिला आकर मूड ही उखाड़ दिया । किसानों को जमकर गाली दी , उन्हें लानत मलानत भेजा । कभी उन्हें खालिस्तानी कहा , कभी गिरगिट कहा ,कभी भाड़े के लोग कहा, आदि आदि जितनी बातें मीडिया ने फैलाई थी , सब जहर बन कर उसके मुँह से निकल रहा था। वह बाहरी आदमी था। बस पान खाने आया था। उसे क्या पता कि वह बारूद के ढेर पर खड़ा होकर ऐसी बातें बोल रहा है ।
उस्ताद का पारा हाई हो चुका था , फौरन पान थूंक कर बोले -” क्या कहा तुमने , वो किसान नहीं हैं , जरा मुझे बताओ किसान कैसे होते हैं ।”
अपरचित ने उस्ताद की ओर ध्यान से देखा और बोला -” किसान टी शर्ट थोड़े पहनते हैं , वह महंगी गाड़ियों में नहीं घूमते , वह इतना उग्र नहीं होते , किसान गरीब और बेचारे टाइप , बिना मुँह के होते हैं , अशिक्षित , गंवार होते है । वह अंग्रेजी नहीं बोल सकते । वह हक की आवाज नहीं उठा सकते । किसान की देह पर भरे पूरे कपड़े नहीं होते । वह कर्ज में डूबे रहते हैं । वह अभाव में आत्महत्या जैसे कदम उठाते है । उनकी बेटियों की शादी अभाव में होती है ।उनके बेटे बेरोजगारी की दशा में धक्के खाते फिरते हैं । यही वास्तविक चित्र है किसान का , वहाँ जो किसान होने का दम्भ भर रहे हैं । वास्तव में वे किसान है ही नहीं , वह विपक्षियों द्वारा भेजे गए लोग हैं , जो सरकार की छवि खराब करना चाहते हैं ।”
उस्ताद ने कहा -” तुम्हारे जैसे हरामखोर लोग ही, किसानों की ऐसी दशा के लिए जिम्मेदार हैं । तुमने जो छवि दिमाग में बसा ली, उससे इतर देखना नहीं चाहते, अब देश के किसानों को बाँटने पर तुले हो, नेता, जो जहर बो रहे हैं, वह तुम जैसों के सिर चढ़ के बोलता है। वह महीनों से घर बार छोड़ कर न्याय की गुहार लगा रहे हैं । तुम्हे सब आसान लगता है । वह वाजिब हक चाहते हैं, जिसे सरकार देना नहीं चाहती । उनकी उग्रता का जिम्मेदार कौन है । सरकार एक बार ठीक से समाधान निकाल लेती तो यह दिन नहीं देखना पड़ता । तुम जैसे लोग देश का सत्यानाश कराकर मानेगें । अरे नालायको चेतो ! इन नेताओं और पूंजीपतियों के गठजोड़ से देश की दशा दिनों दिन खराब हो रही है , और तुम जैसों की आँख पर पर्दा पड़ा है ।”
अपरचित का चेहरा उतर चुका था, वह निरुत्तर हो चुका था, वह चुपचाप पान खाया और धीरे से निकल लिया । उस्ताद ने पानवाले से कहा -” पान खिला बे, साले ने मूड ही खराब कर दिया।
जीवन परिचय-
रामजी प्रसाद " भैरव "
जन्म -02 जुलाई 1976
ग्राम- खण्डवारी, पोस्ट - चहनियाँ
जिला - चन्दौली (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल नंबर- 9415979773
प्रथम उपन्यास "रक्तबीज के वंशज" को उ.प्र. हिंदी संस्थान लखनऊ से प्रेमचन्द पुरस्कार ।
अन्य प्रकाशित उपन्यासों में "शबरी, शिखण्डी की आत्मकथा, सुनो आनन्द, पुरन्दर" है ।
कविता संग्रह - चुप हो जाओ कबीर
व्यंग्य संग्रह - रुद्धान्त
सम्पादन- नवरंग (वार्षिक पत्रिका)
गिरगिट की आँखें (व्यंग्य संग्रह)
देश की विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन
ईमेल- ramjibhairav.fciit@gmail.com