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Tuesday, July 1, 2025

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कहीं आपकी हड्डियां भी नहीं हैं चॉक की तरह नाजुक छींकने-खांसने से भी टूट सकती हैं हड्डियां, जानिए इस रोग के लक्षण और बचाव के तरीके

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चंदौली। शरीर की संरचना को ठीक बनाए रखने के लिए हड्डियों का स्वस्थ और मजबूत रहना सबसे आवश्यक होता है। हड्डियों में किसी प्रकार की समस्या शरीर की गतिविधि और संरचना दोनों को प्रभावित कर सकती है। समय के साथ-साथ लोगों को हड्डियों से जुड़ी कई तरह की दिक्कतें हो रही हैं।छींकने व खासने से भी टूट सकती है। हड्डियां इस रोग के लक्षण और बचाव के क्या तरीके हैं।

ऑस्टियोपोरोसिस ऐसी ही एक गंभीर समस्या है। इस रोग में हड्डियां कमजोर और भंगुर हो जाती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों को इतना कमजोर बना देता है कि हल्की सी चोट या झुकने यहां तक कि छींकने या खांसने से भी फ्रैक्चर होने का डर बना रहता है। कूल्हे, कलाई या रीढ़ में, ऑस्टियोपोरोसिस से संबंधित फ्रैक्चर होने का खतरा सबसे अधिक होता है।सूर्या हॉस्पिटल व ट्रामा सेंटर के ऑर्थोपेडिक डॉक्टर गौतम त्रिपाठी ने बताया कि हड्डी के अंदर मधुमक्खी के छत्ते की तरह छोटे-छोटे स्थान होते हैं। ऑस्टियोपोरोसिस इन स्थानों के आकार को बढ़ाता है, जिससे हड्डियों की ताकत और उनका घनत्व कम हो जाता है। इसके अलावा यह हड्डियों के बाहरी भाग को कमजोर और पतला भी बना देता है। ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित कर सकती है, हालांकि विशेष रूप से वृद्ध महिलाएं और रजोनिवृत्ति के समय में इसका सबसे ज्यादा जोखिम होता है।आइए आगे की स्लाइडों में इस गंभीर समस्या के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं।

ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या को पहचानें

चंदौली। आर्थोपेडिक डॉक्टर गौतम त्रिपाठी के मुताबिक ऑस्टियोपोरोसिस के शुरुआती चरणों में सामान्यत हैं।कोई भी लक्षण या संकेत नजर नहीं आते हैं। ज्यादातर मामलों में लोगों को इस समस्या के बारे में तब तक पता नहीं चल पाता है जबतक कि उन्हें फ्रैक्चर न हो जाए। विशेषज्ञों के मुताबिक भले ही आपमें ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण नहीं हैं, लेकिन परिवार में किसी को इस तरह की समस्या रह चुकी है तो डॉक्टर से बात करके अपने जोखिमों का आकलन करने में मदद मिल सकती है। यदि आपमें इसका जोखिम अधिक है और हड्डियों में दर्द या किसी अन्य तरह की समस्या है तो इस बारे में डॉक्टर से बात जरूर करें।

उम्र के साथ बढ़ती जाती है ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या
चंदौली। किन कारणों से ऑस्टियोपोरोसिस की दिक्कत होती हैं।ऑस्टियोपोरोसिस के संभावित कारणों में हाइपरथायरायडिज्म जैसी कुछ चिकित्सीय स्थितियां शामिल हैं। इन बीमारियों में ली जाने वाली दवाओं के कारण भी यह समस्या हो सकती है।ऑस्टियोपोरोसिस का सबसे बड़ा जोखिम कारक है-उम्र। उम्र बढ़ने के साथ इन समस्याओं का खतरा अधिक हो जाता है। महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा स्वाभाविक रूप से अधिक होता है जो मेनोपॉज के बाद और भी बढ़ जाता है। इसके अलावा यदि आपके परिवार में किसी को यह दिक्कत रह चुकी है तो इसका खतरा आपको भी अधिक हो सकता है। कैल्शियम की कमी को भी इसके प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है।

ऑस्टियोपोरोसिस के लिए दी जाती है सहायक चिकित्सा

चंदौली।सूर्य हॉस्पिटल व ट्रामा सेंटर के ऑर्थोपेडिक डॉक्टर गौतम त्रिपाठी के मुताबिक ऑस्टियोपोरोसिस का कोई इलाज नहीं है, हालांकि डॉक्टर कुछ उपायों के माध्यम से हड्डियों को सुरक्षित और मजबूत बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। इसके लिए डॉक्टर दवाओं के साथ-साथ जीवनशैली में बदलाव की सलाह दे सकते हैं। रोगी को कैल्शियम और विटामिन-डी का सेवन बढ़ाने के साथ-साथ उचित व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। पुरुषों में, टेस्टोस्टेरोन थेरेपी के माध्यम से हड्डियों के घनत्व को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा कुछ दवाइयों की सहायता से भी हड्डियों की क्षति को रोका जा सकता है।

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