Young Writer, चंदौली। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा.आरके सिंह ने पशु पालकों को लू (हीट-स्ट्रोक) के पशुधन पर पड़ने वाले प्रभाव के कम करने के लिए सुझाव व निर्देश जारी किया। उन्होंने कहा कि पशुओं को सीधे धूप वाले स्थान में न रखें। पशुओं को चरायी हेतु प्रातः एवं सायं के समय में ही बाहर लेकर जाएं। पशुओं को ऊपर से ढके हुए छप्पर, टीन शेड वाले स्थानों में रखे तथा यह विशेष ध्यान रखें कि रोशनदान, दरवाजों एवं खिड़कियों को टाट व बोरे से ढक दें, जिससे सीधी हवा का झोंका पशुओं तक न पहुंच सके तथा टाट व बोरे पर पानी का छिड़काव करते रहें।
उन्होंने कहा कि पशुओं को छाया में बाधें और उन्हे पर्याप्त मात्रा में पानी व तरल पदार्थ पिलायें। संतुलित आहार पशुओं को दें तथा खली, दाना, चोकर की मात्रा को बढा दें साथ ही नमक एवं गुड़ का प्रयोग करें।धूप में ज्यादा देर तक रखा गरम पानी पशुओं को न पिलायें। स्वच्छ ताजा पानी हैंडपंप या कुओं से ही पिलायें। साथ ही पोखरों का ही पानी पिलायें।पशु बाड़े में गोबर एवं मूत्र निकास की उचित व्यवस्था करें। विशेष तौर पर प्रातः दस से अपरान्ह चार बजे के बीच सूर्य की ताप से पशुओं को बचायें, उन्हें खुले स्थान पर धूप में न खड़ा करें। स्थानीय मौसम के पूर्वानुमान को रेडियो व टीवी पर सुने और आगामी तापमान में होने वाले परिवर्तन के प्रति सतर्क रहें। लू से प्रभावित पशु के शरीर में बुखार के लक्षण होते है, तत्काल निकटवर्ती पशु चिकित्सक को दिखाये। उनसे प्राप्त परामर्श का पूर्ण रूपेण पालन करें। पशुओं को दिन में एक बार अवश्य नहलायें।
सक्षम पशुपालक पशुशाला में स्पिंकलर के द्वारा जल का छिड़काव करें, एवं पंखों का उपयोग करें, तभी समुचित उत्पादन प्राप्त किया जा सकेगा। मुर्गी फार्म में पर्याप्त मात्रा में जल एवं राशन की मात्रा रखें। पशु पक्षी लू लगने पर यदि तेज बुखार एवं अन्य लक्षण प्रदर्शित कर रहे है तो तत्काल जल पिलायें तथा निकटवती पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें। कहा कि घर के बाहर छायादार स्थानों पर कटोरे में पानी भरकर रख दें, जिससे कि अन्य पक्षी भी पानी पी सके। पशु की स्थिति असामान्य दिखने पर नजदीकी पशु चिकित्सक से सम्पर्क करें या गंभीर स्थिति उत्पन्न होने पर हेल्पलाइन नं0 1962 पर सम्पर्क करे। उपरोक्त बिन्दुओं को अपनाकर पशु-पक्षियों की रक्षा करें तथा उन्नत जर्म प्लाज्मा को संरक्षित करें।