मुल्क के साथ-साथ आवाम की सलामती की मांगी दुआएं
Young Writer, चंदौली। होली व शब-ए-बारात को लेकर जहां पुलिस-प्रशासन एलर्ट मोड पर था, वहीं जनपद ने एक बार फिर आपसी सौहार्द व प्रेम की प्रगाढ़ता का परिचय दिया। दिन में जहां होली का सुरूर लोगों के सिर चढ़कर बोला, वहीं शाम होते-होते हुड़दंग का दौर थमा तो लोगों अबीर गुलाल लेकर एक-दूसरे से मिलने निकल पड़े। इससे जहां पूरे दिन होली का उत्साह रहा। वहीं शाम होते-होते मुस्लिम बंधुओं के पर्व शब-ए-बारात त्यौहार ने रात की रौनक को बनाए रखा।
इस दौरान एक तरफ जहां होली के मद्देनजर गुजिया आदि पकवान बन रहे थे तो दूसरी ओर मुस्लिम के घर शब-ए-बारात को देखते हुए हल्वा आदि लजीज पकवानों की खुशबू हवा में भाईचारे की एकता की महक को बनाए हुए थे। रात होते ही मुस्लिम बंधुओं के घर-मकान व मस्जिदें, ईदगाह व कब्रिस्तान मोमबत्ती व रंग-बिरंगी रौशनी से जगमत हो उठे। साथ ही पूरी रात चले इबादत के दौर से पूरा का पूरा रिहायशी इलाके एक अद्भुव रौशनी से रौशन नजर आया। मुस्लिम बंधुओं ने अपने घरों के अंदर व मस्जिदों में इबादत की। नमाजें पढ़ी और मुल्क के साथ-साथ आवाम की सलामती की दुआएं की। साथ ही कब्रिस्तान जाकर अपने पुरखों के लिए फातिहा पढ़ा और दुआएं मांगी। चंदौली नगर स्थित शाही व जामा मस्जिद में ईशा की नमाज के बाद मुस्लिम बंधु इबादत के लिए जुटने लगे। वहीं घरों के अंदर भी इबादत का दौर पूरी रात कायम रहा। घरों के अंदर मुस्लिम महिलाएं व युवतियां भी कुरआन की तिलावत के साथ ही नमाजों में शरीक होकर इबादत करती नजर आयीं।
डीडीयू नगर। शब-ए-बारात का पर्व शुक्रवार को मुस्लिम समाज के लोग पूरी रात इबादत में गुजारने के साथ अपने बुजुर्गों की कब्रों पर जाकर उनकी मगफिरत की दुआ मांगा। शब-ए-कद्र की रात में मुस्लिम समाज के लोग पूरी रात जागकर गुजारते हैं, मस्जिदों और घरों में इबादत का दौर चलता रहता है। मुस्लिम समुदाय के लोग कब्रिस्तानों में जाकर अपने बुजुर्गों या करीबियों की कब्रों पर गुलपोशी करने के साथ ही मगफिरत की दुआ करते है। शब-ए-बरआत को देखते हुए कुछ दिन पहले ही लोग कसाब महाल, सिकटिया, पशुरामपुर, अलीनगर, लोको, मुस्लिम महाल, नई बस्ति, दुलहीपुर, मलोखर, शकुराबाद आदि मस्जिदों और कब्रिस्तानों में साफ-सफाई करने लगते है। इस संबंध में उलेमाओं ने कहा किशब-ए-बारात की रात मगफिरत की रात होती है। इबादत करने के साथ ही अपने गुनाहों से माफी मांगने की रात भी कह सकते हैं। होली व शब-ए-बरआत पर आपसी भाईचारा और सद्भाव पर बिल्कुल आंच न आने दें। सड़कों पर घूमने की बजाय शब-ए-कद्र की रात का समय इबादत में गुजारें।