Young Writer, इतवार खास। Story Credit केहर सिंह
25 दिसंबर यानी पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई की जन्म दिवस। जिसे सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी सुशासन दिवस के रूप में मनाने का दावा करती है। ‘सुशासन’ शब्द अपने आप में भागीदारी, आम सहमति, उन्मुखता, जवाबदेही, पारदर्शिता, उत्तरदायित्व, प्रभावशीलता एवं कुशलता, न्याय संगतता और समावेशिता एवं कानून का शासन जैसी विशेषताओं को समाहित किए हुए हैं। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ श्रृंखला के अंतर्गत प्रदेश भर में 20 से 26 दिसंबर तक सुशासन सप्ताह (गुड गवर्नेंस वीक) मनाया जा रहा है। इस दौरान ‘प्रशासन गांव की ओर’ अभियान के अंतर्गत शासन द्वारा लागू की गई विभिन्न योजनाओं को जनता के सामने रखा जा रहा है। ताकि लोगों का शासन के प्रति भरोसा बढ़े और वह ज्यादा से ज्यादा शासकीय सेवाओं का लाभ ले सके।
दूसरी ओर एनसीआरबी, एनएसओ, गृह मंत्रालय और नीति आयोग जैसी संस्थाओं के आंकड़े बता रहे हैं कि अपराध, गरीबी, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। राष्ट्रीय संस्थाओं के आंकड़े सुशासन के दावों पर कई सवाल खड़े कर रहे हैं। लगभग सभी सरकारें प्रयास करती हैं कि वह एक बेहतर शासन का मॉडल स्थापित कर सके। मैं विगत 6 वर्षों से राजस्व लेखपाल के रूप में बतौर एक शासकीय सेवक अपने दायित्वों का ईमानदारी एवं निष्ठा से निर्वहन करता रहा हूं। उम्दा कार्य-व्यवहार के लिए मुझे कई प्रशस्ति पत्र भी मिले हैं। इस दौरान मैंने महसूस किया है कि यदि शासन कुछ नीतिगत बदलाव करें तो एक ऐसा गुड गवर्नेंस मॉडल बिना किसी अतिरिक्त बजटीय या वित्तीय प्रावधान के स्थापित किया जा सकता है। जिसमें भ्रष्टाचार, घोटाला, लचर कानून व्यवस्था, अपराध और अवैध कारोबार, अफसरशाही, बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी, खराब शिक्षा व स्वास्थ्य व्यवस्था का स्थाई समाधान होगा। नीतिगत बदलाव संबंधी सुझाव निम्नवत है-
1-अभी हाल ही में शुरू होने वाली जनगणना में सामाजिक व आर्थिक सर्वेक्षण को सम्मिलित करते हुए व्यक्ति वार संपत्तियों (भूमि, भवन, चल-अचल) व्यवसायों और बैंक अकाउंट को आधार से लिंक कर एक वेब पोर्टल विकसित कर व्यवस्थित डेटाबेस के आधार पर प्रत्येक व्यक्ति व परिवार का इनकम परसेंटाइल स्कोर/ रैंक और एसेट्स परसेंटाइल स्कोर व रैंक ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला और राज्य स्तर पर तैयार किया जाए। इसी स्कोर व रैंक के आधार पर नागरिकों को शासकीय योजनाओं का लाभ दिया जाए। उक्त स्कोर और रैंक आधारित प्रत्येक परिवार का एक डिजिटल पेज किया जाए। जिस पर उस परिवार के समस्त विवरण ऑटो अपडेट होते रहें और परिवार कौन-कौन सी योजनाओं की पात्रता रखता है, यह भी अपडेट होता रहे।
2- पूरी तरह से डिजिटलाइजेशन को स्वीकार्यता प्रदान करते हुए सभी अधिकारियों कर्मचारियों को कार्य के लिए वेब पोर्टल विकसित किया जाए और इन सभी को आईडी और पासवर्ड जारी कर प्रत्येक स्तर पर ई-प्रार्थना पत्र ई-एफआईआर और ई-फाइल को हर स्थिति में लागू किया जाए।
3- शासन के महत्वपूर्ण विभागों यथा पुलिस, राजस्व, पंचायती राज और ग्राम्य विकास के निचले स्तर के कार्मिकों के कार्यक्षेत्र का निर्धारण ग्राम पंचायत स्तर पर किया जाए। इनकी प्रतिदिन संबंधित ग्राम पंचायत में उपस्थिति और रात्रि निवास अनिवार्य किया जाए।
(नोट- वर्तमान में प्रदेश में ग्राम पंचायतों की संख्या लगभग 58000 है। लेखपालों की संख्या 32000, ग्राम पंचायत अधिकारियों की संख्या लगभग 13000 और ग्राम विकास अधिकारियों की संख्या लगभग 13000 है। इस प्रकार यदि तीनों पदों का एकीकरण कर एक नया पद बनाया जाए तो प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर एक शासकीय कर्मी की नियमित उपलब्धता बड़ी आसानी से हो सकती है।
4- प्रत्येक ग्राम पंचायत में दो कांस्टेबल (इसमें एक महिला और एक पुरुष) और दो होमगार्ड (जिसमें एक महिला और एक पुरुष) की नियुक्ति अनिवार्य रूप से की जाए। महत्वपूर्ण विभागों यथा राजस्व, पुलिस और विकास के निचले स्तर के कार्मिकों की प्रतिदिन उनके मुख्यालय पर उपस्थिति की बाध्यता को समाप्त करते हुए उनके कार्यक्षेत्र में उपस्थिति को अनिवार्य किया जाए। इनकी समीक्षा सिर्फ ऑनलाइन,वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या फिर जूम एप आदि के माध्यम से ही हो। बहुत आवश्यक हो तो ही इनको मुख्यालय पर बुलाया जाए।
5- अपराध, अवैध कारोबार और शासकीय कार्मिकों के अनुचित कार्यों की गोपनीय सूचना हेतु एक वेब पोर्टल विकसित किया जाए। शासकीय कार्मिकों के कार्यों की प्रभावी निगरानी एवं उनके कार्यों के मूल्यांकन हेतु एक पारदर्शी ऑनलाइन तंत्र विकसित किया जाए। वेतन वृद्धि लक्ष्य आधारित हो और उत्कृष्ट कार्य करने वाले कार्मिकों को अतिरिक्त वेतन वृद्धि की जाए।
6- शासकीय कार्मिकों को कार्य संपादित करने हेतु बेहतर माहौल मिले इसके लिए उनकी स्थानांतरण नीति, पदोन्नति, पेंशन एवं चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति की व्यवस्था को और व्यवहारिक व पारदर्शी बनाते हुए पूरी तरह से ऑनलाइन किया जाए।
7- समस्त शासकीय सेवाओं का लाभ लेने हेतु एक एकीकृत नागरिक सेवा पोर्टल विकसित किया जाए। ऑनलाइन शासकीय सेवाओं को प्राप्त करने में सीएमएस व सहज जैसी सेवा प्रदाता कंपनियों की मध्यस्थता को खत्म कर सीधे नागरिकों से ही ऑनलाइन आवेदन स्वीकार किए जाएं। चूंकि वर्तमान व्यवस्था में नागरिकों को हर शासकीय सेवा के लिए कुछ न कुछ शुल्क जरूर देना पड़ता है ,भले ही वह सेवा आधिकारिक रूप से निशुल्क क्यों न हो। उदाहरण के लिए वरासत की पूरी प्रक्रिया निशुल्क है फिर भी बिचौलिए 500 से 1000 तक संबंधित व्यक्ति से वसूलते हैं। इसलिए प्रत्येक ऑनलाइन सेवा के लिए कुछ न कुछ शुल्क आवश्यक निर्धारित किया जाए। इससे नागरिकों पर बिना कोई अतिरिक्त भार के शासन को बड़ी मात्रा में राजस्व प्राप्त हो सकता है। शुल्क से प्राप्त धनराशि का प्रयोग सार्वजनिक संपत्तियों के अनुरक्षण, संवर्धन व आय-अर्जन के नए स्रोत विकसित करने में किया जाए।
8- ऑनलाइन भू-नक्शा पर स्केलिंग की जाए। ऑनलाइन भू मैप को सेटेलाइट मैप से ओवरलैप पर एक कॉन्बिनेशन मैप तैयार किया जाए। ऑनलाइन भू नक्शा में गाटे की विभाजन की व्यवस्था दी जाए
9- ग्राम पंचायत स्तर पर फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन का गठन किया जाए। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीद और डीएपी, यूरिया आदि खातों के वितरण का दायित्व इन्हीं फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशंस को दे दिया जाए। एफपीओ से प्रत्येक किसान को जोड़ा जाए और प्रत्येक किसान का केसीसी अनिवार्य रूप से बनाया जाए और केसीसी में खाद बीज के लिए धनराशि अनिवार्य रूप से आरक्षित रखी जाए एवं एफपीओ से खाद बीज प्राप्त होने के बाद वो धनराशि एफपीओ को स्थानांतरित की जाए या बैंक द्वारा केसीसी धारक किसानों को खाद बीज की धनराशि के बराबर राशि का मोबाइल रिचार्ज वाउचर की तर्ज पर बाउचर कूपन दिया जाए।
10- युवाओं को खेती की तरफ आकर्षित करने और किसानों की आय में निश्चितता एवं वृद्धि के लिए जीरो बजट खेती, मल्टी लेयर फार्मिंग, समेकित खेती, जैविक खेती व प्राकृतिक खेती के सफल मॉडल्स अभियान चलाकर ग्राम पंचायत वार निशुल्क स्थापित किया जाए । मनरेगा से भी मिट्टी के कार्य कराने के स्थान पर मजदूरों को आधुनिक खेती के उपरोक्त सफल मॉडल्स स्थापित कराकर स्वावलंबी बनाया जाए। एफपीओ के माध्यम से इन्हें बेहतर बाजार उपलब्ध कराया जाए।
11- स्वावलंबन से समृद्धि के सिद्धांत पर प्रत्येक ग्रामीण परिवार में मॉडल न्यूट्रीशनल किचन गार्डन स्थापित किया जाए। जिसमें परिवार के उपयोग लायक सब्जी, सलाद, फल, मसाले, दलहन, तिलहन, अनाज आदि अवश्य हो।
12- एलपीजी सिलेंडर के स्थान पर पोर्टेबल बायो गैस सिलेंडर को बढ़ावा दिया जाए।
13- किसानों को जैविक खाद जैविक कीटनाशक, और जैविक बीज तैयार कराना सिखाया जाए । साथ ही साथ प्रोत्साहन राशि भी दी जाए।
14- ऐसी आवश्यक वस्तुएं, जो लोगों को बाजार से खरीदनी पड़ती हैं, उसके लिए मिनी कॉपरेटिव बनाकर या स्वयं सहायता समूह के माध्यम से ग्राम पंचायत स्तर पर थोक में खरीद की जाए। आवश्यक वस्तुओं और दवाइयों के मूल्य निर्धारण की पारदर्शी व्यवस्था की जाए। इन पर टैक्स की दर भी व्यवहारिक हो, इसके लिए भी एक बोर्ड गठित किया जा सकता है।
15- इस तरह की व्यवस्था हो कि कोई भी पद अति विषम परिस्थितियों में भी 1 वर्ष से ज्यादा समय तक रिक्त न रहे । भर्ती बोर्डों द्वारा प्रत्येक पटल के रिक्त पदों को भरने के लिए प्रतिवर्ष परीक्षाएं कराई जाए। आने वाले 1 वर्ष में जो पद रिक्त होने हैं, उनके लिए भर्ती प्रक्रिया 1 वर्ष पहले ही शुरू कर दी जाए। इससे नियमित तौर पर युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
16- निजी क्षेत्र में भी भर्ती के लिए एक पारदर्शी भर्ती प्रणाली लागू की जाए। अकुशल कामगारों, अर्ध कुशल कामगारों और कुशल कामगारों के लिए एक आदर्श परीक्षा पैटर्न तैयार किया जाए।
17- यदि संभव हो तो आरक्षण आर्थिक आधार पर ही दिया जाए अन्यथा ओबीसी एससी और एसटी में भी सामाजिक रूप से पिछड़ेपन के आरक्षण के साथ-साथ आर्थिक रूप से पिछड़ेपन के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था की जाए।
18- नकल कराना, पेपर आउट कराना आदि संज्ञय अपराध घोषित हो और ऐसे मामलों में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अंतर्गत कठोरतम कार्रवाई की जाए।
19- कौशल विकास कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए ।प्रशिक्षणार्थियों का पारदर्शी ऑनलाइन मूल्यांकन किया जाए, प्रशिक्षणार्थी एवं प्रशिक्षक की अटेंडेंस की व्यवस्था अत्यंत पारदर्शी एवं ऑनलाइन हो। पारदर्शी मूल्यांकन के बाद ही प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र दिया जाए और संबंधित ट्रेड में स्वरोजगार की स्थापना के इच्छुक शिक्षार्थी को बिना किसी औपचारिकता के अनुदानित ऋण दिया जाए।
20- शिक्षकों को बेहतर प्रशिक्षण देकर नवाचार के माध्यम से पढ़ाई करवाई जाए ताकि बच्चों की रुचि इस ओर बढ़े। सभी स्कूलों में अध्यापक और विद्यार्थी की ऑनलाइन अटेंडेंस की व्यवस्था आने व जाने के समय अवश्य हो। प्रत्येक छात्र का प्रभावी एवं पारदर्शी ऑनलाइन मूल्यांकन किया जाए।
21- सभी शासकीय कर्मियों के बच्चों को शासकीय स्कूलों में पढ़ाना शुरू किया जाए। छात्र प्रतिदिन पढ़ने आए, यह जिम्मेदारी अभिभावक की हो और छात्र प्रतिदिन विद्यालय में कुछ ना कुछ सीखे, यह जिम्मेदारी शिक्षक की हो। विशेष परिस्थिति को छोड़कर यदि अभिभावक अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं करता है तो उसे सरकारी योजनाओं के लाभ एवं अनुदानों से वंचित रखा जाए और यदि शिक्षक अपने दायित्व का निर्वहन नहीं करता है तो वेतन वृद्धि रोक दी जाए।
22- प्रत्येक ग्राम पंचायत में उप स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना का लक्ष्य शासन द्वारा निर्धारित है। इन स्वास्थ्य केंद्रों में जरूरी स्टाफ यथा बेसिक हेल्थ वर्कर, एएनएम आदि अनिवार्य रूप से उपस्थित रहे। केंद्र पर टेलीमेडिसिन के कांसेप्ट पर विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह भी फोन या वीडियो कॉल पर उपलब्ध हो। स्वास्थ्य कार्मिकों के कामों के मूल्यांकन की पारदर्शी ऑनलाइन व्यवस्था हो। अच्छा काम करने वाले कार्मिकों को आर्थिक प्रोत्साहन दिया जाए।
उपरोक्त 1 लगायत 22 बिंदुओं के माध्यम से नीतिगत बदलाव के संबंध में संक्षिप्त रूप में अपने विचार प्रस्तुत किए। उपरोक्त प्रत्येक सुझाव महत्वपूर्ण है और व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव की पर्याप्त क्षमता रखता है। इसलिए प्रत्येक सुझाव से होने वाले लाभों का विवरण प्रस्तुत करेंगे तो लेख बहुत लंबा हो जाएगा। संक्षेप में, मैं यही कहूंगा कि यदि उपरोक्त सुझाव को अमल में लाया गया तो भ्रष्टाचार, अपराध, अवैध कारोबार, अफसरशाही, बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी, खराब शिक्षा व खराब स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का स्थाई समाधान होगा। साथ ही साथ हर स्तर पर लीकेज खत्म होने से शासन को प्रति वर्ष कई हजार करोड़ के राज्य की बचत होगी और नागरिकों का आर्थिक शोषण बंद होने से नागरिकों की बचत में भी वृद्धि होगी। किसी भी सुझाव के संबंध में किसी भी प्रकार की शंका समाधान के लिए मेरे ईमेल keharsinghlekhpal@gmail.com पर मेल किया जा सकता है। विस्तृत जानकारी एवं प्रस्तुतीकरण के लिए भी मुझसे संपर्क किया जा सकता है।
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लेखकः-
पेशे से सरकारी सेवक हैं, जो राजस्व विभाग में बतौर लेखपाल अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
केहर सिंह, लेखपाल
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