चंदौली। अफगानिस्तान में तख्तापलट के बाद फैली अराजकता में भारत के लोग भी फंसे हुए हैं। ऐसे परिवार के लोग अपने लोगों की सुरक्षा व सलामती को लेकर फिक्रमंद हैं और सरकार से उनकी सकुशल देश वापसी की मांग कर रहे हें।
चंदौली जिले के अमोघपुर गांव निवासी सूरज चैहान भी काबूल की अराजकता में फंसे हुए हैं, जो जनवरी में ही वेल्डर के तौर पर कार्य करने के लिए कबूल गए थे। सूरज चैहान के लिए परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है परिजन सरकार से गुहार लगायी कि सूरज को अफगानिस्तान से सुरक्षित वापस लाया जाय। तालिबान द्वारा अफगानिस्तान लड़ाई के बीच चारों तरफ अफरातफरी और अराजकता का माहौल है। लोग पलायन को मजबूर हो रहे हैं और सुरक्षित ठिकाने पर जाने के लिए इधर उधर भटक रहे हैं। सबसे बुरा हाल दूसरे देश से अफगानिस्तान में काम करने गए लोगों का है ।उत्तर प्रदेश के कुल 17 लोग अफगानिस्तान के काबुल के एक कारखाने में फंसे हुए हैं ।इन्हीं में चंदौली जिले के पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर तहसील के अमोघपुर गांव के सूरज चैहान भी फंसे हुए हैं। उनका मालिक भी वहां से फरार हो चुका है। हालांकि परिजन सूरज के संपर्क में है और वीडियो कॉल के माध्यम से सूरत से बात भी हो रही है। लेकिन परिजनों को डर सता रहा है और वह सूरज की सुरक्षित वापसी की सरकार से मांग कर रहे हैं ।सूरज के पिता बुधिराम जो कि लकवे की बीमारी से ग्रस्त हैं। बेटे की सुरक्षित वापसी के लिए रो-रोकर के बुरा हाल है वहीं उसकी पत्नी इस सदमे उबर नहीं पा रही है। सूरज की शादी 2014 में वाराणसी के हरहुआ गांव में रेखा चैहान से हुई थी। सूरज का तीन साल का बेटा है। फिलहाल सूरज की सलामती के लिए प्रार्थनाओं का दौर जारी है। ऐसे में सरकार की गतिविधियों पर परिजनों की उम्मीदें टिकी है।
अफगानिस्तान में फैली अराजकता में फंसा चंदौली का लाल
सपा नेता मनोज डब्लू को पुलिस ने एक बार फिर घेरा
धानापुर, चंदौली।
धानापुर। महिला को न्याय देने की बजाय उसे राह बदलकर जाने की नसीहत देने वाले दरोगा का निलंबन प्रकरण में सपा के राष्ट्रीय सचिव मनोज सिंह डब्लू व जनपद पुलिस मंगलवार को एक बार फिर आमने-सामने रहा। पुलिस ने मनोज डब्लू के आंदोलन की चेतावनी को संज्ञान में लिया और माधोपुर स्थित उनके आवास पर पुलिस की किलेबंदी कर दी, ताकि वे अपने तय वादे के मुताबिक आंदोलन ना करें। मौके पर कई थानों की फोर्स व पीएसी को तैनात कर सपा के राष्ट्रीय सचिव को घर में नजरबंद कर दिया। मामला उस वक्त तनावपूर्ण हो गया, जब नजरबंदी की सूचना से गुस्साए सपाई व स्थानीय ग्रामीणों का एक बड़ा जत्था माधोपुर पहुंचकर पुलिसिया कार्यवाही के लिए लामबंद हो गए।
इस दौरान सपा के राष्ट्रीय सचिव मनोज सिंह डब्लू ने कहा कि जनपद पुलिस कर्तव्य पथ से भटक गयी है। उसे पहले यह समझना होगा कि उसका दायित्व क्या है? तभी तो वह उसका निर्वहन करेगी। आरोप लगाया कि पुलिस कर्तव्यों के निर्वहन की बजाय हक के लिए उठने वाली आवाज के दमन पर जोर दे रही है, जो पूरी तरह से अनुचित है। ऐसे तानाशाही रवैये से न तो शहीदी धरती धानापुर की जनता डरती है और ना ही समाजवादी सिपाही। कहा कि यदि धानापुर थाना प्रभारी पर पुलिस कार्यवाही नहीं करती है तो आंदोलन होकर रहेगा। इसे किसी भी हाल में रोका नहीं जा सकता है। पुलिस चाहती है कि जनता आंदोलन की राह ना चुके थे पुलिस अपना काम करे और धानापुर थाना प्रभारी के खिलाफ कार्यवाही को अमल में लाए। यदि ऐसा नहीं होता है तो बुधवार को धानापुर शहीद स्मारक स्थल पर समाजवादी पार्टी स्थानीय जनता के साथ पुलिस के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंकेगी। पुलिस को यह स्मरण होना चाहिए कि यह वही शहीदी धरती है जिसने आजादी के आंदोलन को अपने लघु से सींचा था। इसके पूर्व माधोपुर स्थित मनोज डब्लू के आवास पर धानापुर, धीना, कंदवा व सैयदाजा थाने की पुलिस फोर्स के साथ पीएसी के जवान भारी संख्या में मौजूद रहे। पुलिस तब तक मनोज डब्लू के आवास पर डंटी रही, जब तक कि उन्होंने मंगलवार को आंदोलन स्थगित करने का ऐलान नहीं किया। इस अवसर पर जिला पंचायत सदस्य अंजनी सिंह, रामजन्म यादव, जगमेंद्र यादव, इबरार अहमद, हाजी बिस्मिल्लाह, नैमुल हक आदि उपस्थित रहे।
मानवता हुई शर्मसार दुष्कर्म के आरोपित चाचा को पुलिस ने किया गिरफ्तार भेजा जेल
चन्दौली।नौगढ़ चार महीने से बहला फुसलाकर किशोरी के साथ दुराचार कर रहा चाचा को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया ।
नौगढ़ थाना क्षेत्र के एक गांव निवासनी 14 वर्षीय किशोरी के पेट दर्द होने पर परिजनों ने उसका अल्ट्रासाउंड कराया तो पता चला कि ,किशोरी चार महीने से गर्भवती है परिजनों ने जब किशोरी से पता किया तो मालूम हुआ कि चार माह पहले उसका सगा चाचा उसके साथ दुराचार कर दिया था । जिससे वह गर्भवती हो गई । इसकी जानकारी होने पर पीड़िता की माँ ने 11 अगस्त को थाने पहुंच कर आरोपित चाचा हिमांशु सिंह उर्फ गोलू के खिलाफ तहरीर दीया । जिसके बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसके तलाश में जुटी थी । रविवार की शाम मुखबिर की सूचना पर। प्रभारी निरीक्षक राजकुमार यादव ने सेमरा मोड़ के समीप आरोपित को गिरफ्तार लिया । और सोमवार को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया।
निलंबित RI समेत 6 पुलिस कर्मी हुए सम्मानित
चन्दौली – स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत सरकार की तरफ से जिले के 6 निरीक्षकों को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रशस्ति पत्र मिला. जिसमें हाल ही में अपर पुलिस अधीक्षक से बदसलूकी करने के कारण निलंबित चल रहे आरआई रविन्द्र प्रताप सिंह का भी नाम शामिल है. सभी इंस्पेक्टर को यह प्रशस्ति पत्र उत्कृष्ट कार्य के लिए दिया गया है. अपर पुलिस अधीक्षक से बदसलुकी के आरोप में निलंबित चल रहे आई को प्रशस्ति पत्र मिलने से जिले भर में चर्चा का विषय बना हुआ है.
बात दें कि कुछ दिनों पूर्व एडिशनल एसपी नक्सल अनिल कुमार ने आरआई रविन्द्र प्रताप सिंह पर आरोप लगाया था कि ड्यूटी रजिस्टर मांगने पर प्रतिसार निरीक्षक ने पहले तो देने से मना कर दिया. उसके बाद उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया था. एएसपी ने यह भी आरोप लगाया था कि आरआई ने जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया और कहा था कि तुम्हरे जैसे लोग हमारे यहाँ कूड़ा फेंकते हैं. वहीं धौंस भी दी थी. कहा था कि एसपी, आईजी, डीआईजी सब हमारी जेब मे रहते हैं. बहरहाल एएसपी ने पूरे प्रकरण को लेकर उच्चाधिकारियों के साथ ही शासन स्तर पर भी पत्र भेज दिया था.
हाई प्रोफाइल मामले में आईजी वाराणसी एसके भगत ने हस्तक्षेप किया था. वहीं इस पूरे मामले की जाँच एडिशनल एसपी जौनपुर को दी गई थी. आरआई फिलहाल लखनऊ पीएसी मुख्यालय से सम्बद्ध हैं.
बता दें की इसके अलावा भारत सरकार की तरफ़ से तीन अन्य निरीक्षकों को भी उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए चयनित किया गया है. जिसमें स्वाट टीम व अलीनगर थाना प्रभारी रहे बृजेश चंद्र त्रिपाठी, स्वाट टीम प्रभारी रहे सत्येंद्र कुमार यादव व अलीनगर के प्रभारी निरीक्षक सन्तोष सिंह, डायल 112 प्रभारी अखिलेश मिश्रा, एलआइयू निरीक्षक नरेन्द्र कुमार नाम शामिल है।
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प्रमुख संघ के जिलाध्यक्ष बने अजय सिंह
प्रमुख संघ के जिलाध्यक्ष बने अजय सिंह
चंदौली। जिले के सभी विकास खंडों के ब्लाक प्रमुखों की बैठक सोमवार को कैम्प कार्यालय पर सम्पन्न हुई। इस दौरान सर्वसम्मति से प्रमुख संघ का जिलाध्यक्ष धानापुर ब्लाक के प्रमुख अजय सिंह को मनोनीत किया गया। साथ ही संगठन को मजबूत बनाने को लेकर चर्चा की गई। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि संगठन की मजबूती के लिए सभी को एकजुट होकर प्रयास करने की जरूरत है। इस मौके पर सदर ब्लाक प्रमुख संजय सिंह बबलू, नौगढ़ की प्रेमा, चकिया के शम्भूनाथ यादव, शहाबगंज की गीता देवी, बरहनी की सुनीता सिंह, चहनियां के अरूण जायसवाल, सकलडीहा के अवधेश सिंह के अलावा ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि सुजीत सिंह सुड्डू, महेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।
अंजनी सिंह ने बदमाश की गोली से घायल सिपाही को दिया सम्मान
अंजनी बोले, अच्छे कार्य में मिलना चाहिए सम्मान
धानापुर। 6 अगस्त धानापुर क्रांति दिवस के अवसर पर समाजवादी चिंतक व जिला पंचायत सदस्य अंजनी सिंह ने बीते दिनों बदमाशों से मुठभेड़ में घायल सिपाही को अंगवस्त्रम भेंट करने के साथ ही माल्यार्पण कर सम्मानित किया। साथ ही थाने में ड्यूटी पर तैनात एसआई मुहम्मद सलीम एसआई मनेस कुमार दूबे, हेडकांस्टेबल राकेश यादव कांस्टेबल आशीष कुमार का भी सम्मान किया।
बताते चलें अंजनी सिंह भी भारतीय थल सेना सेना पुलिस कोर से रिटायर्ड हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस वालों पर कोई भी आरोप लगा देता है, लेकिन पुलिस का जवान भी एक इंसान है जिन पर समाज में शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए कानून-व्यवस्था को बनाए रखने जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है, जिसका निर्वहन वे अपने घर-परिवार को छोड़कर पूरी निष्ठा के साथ करते हैं। ऐसे में अच्छा काम व आचरण वाले पुलिस वालों को सम्मान मिलना चाहिए। पुलिस के हर अच्छे कार्यों की तारीफ करने पर पुलिस बल को सम्मान देना भी निहायत ही जरूरी है। इससे पुलिस का मनोबल बढ़ेगा और बेहतर ढंग से अपने कार्यों का निर्वहन करेंगे। कहा कि रूपेश दूबे को सम्मानित होते देख नए सिपाहियों में बेहतर करने की ललक बढ़ेगी। इस अवसर पर सदानंद खरवार, सुंदर बिंद, बबलू यादव, जयप्रकाश सिंह, राघवेंद्र सिंह मौजूद रहे।
भारत सरकार पिछड़ों को कर रही गुमराह
चंदौली। मुख्यालय स्थित बिछिया धरना स्थल पर सोमवार को आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ जुलूस निकाला। जहां कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे जहां सरकार के विरोध में भड़ास निकाली। अंत में ओबीसी जातिगत जनगणना कराने के संबंध में राष्ट्रपति के नाम प्रशासनिक अधिकारी को ज्ञापन सौंपा।
इस दौरान जिलाध्यक्ष चन्द्रशेखर ने कहा कि पिछले महीने केंद्र सरकार ने 20 जुलाई को लोकसभा में जवाब दिया कि ओबीसी जातिगत जनगणना कराने के लिए फिलहाल सरकार आगामी 2021 की जनगणना जाति आधारित नहीं होगी।सरकार का यह फरमान पिछड़ो एवं वंचितों के कल्याण का विरोधी है । कहा कि किसी भी राष्ट्र का पुर्ण विकास तब तक संभव नहीं है जब तक कि हाशिए के समाज को विकास की मुख्यधारा से न जोड़ा जाए। कहा कि 1937 में हुई जाति – आधारित जनगणना के बाद से अभी तक जाति जनगणना नहीं हुई है । वर्ष 2011 की जनगणना में जातिगत आकड़ें एकत्र किए गए, लेकिन उसे जारी नहीं किया गया।सरकार ने लोगों के पैसे से टैक्स वसूल कर करोड़ों रूपए बर्बाद कर दिया ।सरकार झूठ बोल रही है कि पिछड़ों की जातिगत जनगणना कराए जाने से समाज अगड़ा – पिछडा में बट जाएगा। बल्कि यह राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम होगा। इस दौरान शैलेश कुमार, संगीता चौधरी,उमेश भारती, सोहन भारती,संपूर्णानंद, अनिल चौधरी, अजय कुमार, सिद्धार्थ,नवीन कुमार, दीपक कुमार, सुधीर कुमार, शमशेर, श्यामलाल बौद्ध आदि लोग उपस्थित रहे।
पुलिस ने 21 पशु को कराया मुक्त
सैयदराजा पुलिस अधीक्षक अमित कुमार के निर्देश पर जनपद में पशु तस्करों के विरुद्ध चलाए जा रहे चेकिंग अभियान में सैयदराजा पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर चेकिंग के दौरान वाराणसी से बिहार के तरफ जा रही है ट्रक को रोका तो ट्रक चालक स्पीड तेज़ करने लगा पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए नौबतपुर पुलिस बूथ के पास ट्रक को पकड़ लिया जिसमे 21 गोवंश बरामद किए पुलिस ने ट्रक को कब्जे में कर कोतवाली ले आई और आगे की कार्रवाई में जुट गई इस दौरान सैयदराजा थाने के प्रभारी निरीक्षक लक्ष्मण पर्वत ने बताया कि प्रतिदिन की तरह रात्रि चेकिंग की जा रही थी रविवार की रात को मुखबिर की सूचना पर पता चला कि वाराणसी की तरफ से गोवंश लदी एक ट्रक बिहार की तरफ जा रही है जिसको घेराबंदी कर नौबतपुर पुलिस चौकी के पास से पकड़ लिया गया ट्रक में 21 गोवंश बरामद किए गए हैं लेकिन ट्रक चालक और अभियुक्त अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गए ट्रक को कब्जे में कर अग्रिम कार्रवाई की जा रही है टीम में चेकिंग के दौरान देवेंद्र सिंह यादव विजय गौतम महाराणा प्रताप रामसूरत चौहान शामिल रहे।
महिला बनी पुलिस ठगी की शिकार
चन्दौली।डीडीयू जंक्शन पर जीआरपी सिपाही द्वारा ठगी का मामला सामने आया है. लूट के मामले में पकड़े गए युवक को छोड़ने के लिए जीआरपी के सिपाही ने आरोपित के परिवार से 42 हजार रुपए ले लिए. उसके बाद आरोपित को जेल भेज दिया. ऐसे में बेटे के जेल जाने के साथ ही हाथ से पैसे चले जाने से परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. हालांकि मामले की जानकारी के बाद जीआरपी प्रभारी निरीक्षक इसके पटाक्षेप में लगे है.
पुलिस की ठगी का शिकार बनी महिला का आरोप है कि दो दिनों पूर्व डीडीयू जीआरपी के दिलदारनगर चौकी क्षेत्र से एक लुटेरे को गिरफ्तार किया था. जिसकी जानकारी के बाद आरोपित के परिजन उसे छुड़ाने के लिए जीआरपी डीडीयू पहुँच गए. वहां बातचीत के दौरान जीआरपी सिपाही ने उसे छोड़ने के एवज में पैसे की डिमांड की. बातचीत के दौरान 42 हजार रुपए में आरोपित को छोड़ने का करार हुआ. जिसके बाद सिपाही थाने से बाहर सर्कुलेटिंग एरिया में आकर पैसे ले गया.
लेकिन पैसा के बावजूद पुलिस ने आरोपित को जेल भेज दिया। जिसके बाद उन्हें वहाँ से जाने के लिए कह दिया गया. जब उन्होंने अपने पैसे वापस लेने की सोची तो वो सिपाही नदारद हो चुका था. ऐसे में बेटे को जेल और पैसों के वापस नहीं मिलने की स्थिति में परिजन स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया में ही रोने बिलखने लगीं. महिला की चींख पुकार सुनकर मौके पर काफी भींड़ इकट्ठा हो गई. मौके पर पहुँची आरपीएफ महिला पुलिस उनको अपने साथ जीआरपी ले गई.गौरतलब है कि आरोपित के परिजनों ने कर्ज लेकर अपने और अपने गहने बेचकर किसी प्रकार 42 हजार इकट्ठा किया. उसके बाद आकर जीआरपी सिपाही से मिले. उस सिपाही ने अपने अधिकारी से बात कराई और आरोपित को कुछ देर में छोड़ने की बात कहते हुए पैसे लेकर चलते बने.हालांकि मामला बढ़ता देख जीआरपी प्रभारी निरिक्षक ए के दुबेे हस्तक्षेप करते हुए मामले के पटाक्षेप में जुट गए. उन्होंने बताया कि पुलिस ने नहीं बल्कि किसी वकील के महिला से पैसे लेने की बात सामने आई. जिसे वापस कराने का प्रयास किया जा रहा है।
16 अगस्त 1942 का धानापुर थाना काण्ड
स्वतंत्रता संग्राम के आखिरी दौर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ‘करो या मरो’ के आह्वान पर 16 अगस्त 1942 को महाईच परगना के आन्दोलनकारीयों द्वारा जो कुछ किया गया वह कामयाबी और कुरबानी के नजरीये से संयुक्त प्रान्त (उत्तर प्रदेश) व भारत के बड़े काण्डों में से एक था, लेकिन इस काण्ड की उतनी चर्चा नहीं हो पाया जितनी होनी चाहिए थी क्योंकि इसकी प्रमुख वजह यह थी कि खुफिया विभाग द्वारा ब्रिटिश गवर्रनर को जो रिपोर्ट भेजा गया उसमें धानापुर (वाराणसी) के स्थान पर चानापुर (गाजीपुर) था। इतिहासकार डा0 जयराम सिंह बतात हैं कि ‘‘राष्ट्रीय अभिलेखागार नई दिल्ली की होम पोलीटीकल फाईल, 1942 में भी चानापुर (गाजीपुर) का उल्लेख है। जिसका संसोधन 1992 में किया गया। 16 अगस्त 1942 का धानापुर थाना कांड इस वजह से भी चर्चित नहीं हो पाया।’’
वाराणसी से तकरीबन 55 किलोमीटर पूरब में बसा धानापुर सन् 1942 में यातायात के नजरीये से काफी दुरूह स्थान था। बारिश में कच्ची सड़कें कीचड़ से सराबोर हो जाया करतीं थीं तथा गंगा नदी बाढ़ की वजह से दुर्लघ्य हो जाया करती थी। करो या मरो के उद्घोष के साथ 08 और 13 अगस्त 1942 को वाराणसी में छात्रों और नागरिकों ने ब्रिटिश हुकूमत के ताकत को पूरी तरह से जमींदोज करके सरकारी भवनों पर राष्ट्रध्वज तिरंगा फहरा कर आजादी का जश्न मनाया। जैसे ही यह खबर देहात अंचल में पहुंची तो वहां की आंदोलित जनता भी आजादी के सपनों में डूबकर समस्त सरकारी भवनों पर तिरंगा फहराने के लिए उत्सुक हो गया। महाईच परगना में सरकारी भवनों पर तिरंगा फहरासने का कार्यक्रम कामता प्रसाद विद्यार्थी के नेतृत्व में 09 अगस्त 1942 से ही शुरू हो गया था। 12 अगस्त 1942 को गुरेहूं सर्वे कैम्प पर, 12 अगस्त 1942 को चन्दौली के तहसील, थाना, डाकघर समेत सकलडीहां रेलवे स्टेशन पर तथा 15 अगस्त 1942 की रात में धीना रेलवे स्टेशन पर धावा बोले के बाद महाईच परगना में केवल धानापुर ही ऐसी जगह थी जहां सरकारी भवनों पर तिरंगा फहराना बाकी था।
अब आजादी का ज्वार लोगों को कंपा रहा था, लोग स्वतंत्र होने के लिए उतावले थें तथा कामता प्रसाद विद्यार्थी महाईच के गांवों में घूम-घुम कर लोगों को प्रोत्साहित कर रहे थें। 15 अगस्त 1942 को राजनारायण सिंह व केदार सिंह धानापुर पहुंच कर थानेदार को शान्तिपूर्वक तिरंगा फहराने के लिए समझाया मगर ब्रिटिश गुलामी में जकड़ा थानेदार किसी भी हाल में तिरंगा फहराने को राजी नहीं हुआ। तब जाकर 16 अगस्त 1942 को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार महाईच परगना के लोग सुबह से ही कालीया साहब की छावनी पर एकत्र होने लगें। सरकारी आंकड़े के मुताबिक आन्दोलनकारीयों की संख्या प्रातः 11.00 बजे तक एक हजार तथा तीन बजे तक पांच हजार तक थी। तीन बजे के करीब विद्यार्थी जी, राजनारायण सिंह, मन्नी सिंह, हरिनारायण अग्रहरी, हरि सिंह, मुसाफिर सिंह, भोला सिंह, राम प्रसाद मल्लह आदि के नेतृत्च में करीब पांच हजार लोगों का समूह थाने की तरफ बढ़ा।
बाजार में विद्यार्थी जी ने लोगों से निवेदन किया कि वे अपनी-अपनी लाठीयां रखकर खाली हाथ थाने पर झण्डा फहराने चलें क्योंकि हमारा आन्दोलन अहिंसक है। पलक झपकते ही आजादी के खुमार में आहलादित जनता थाने के सामने पाकड़ के के सामने पहुंच गयी। महाईच परगना के सभी गांव के चैकीदार लाल पगड़ी बांधे बावर्दी लाठीयों के साथ तैनात थें उनके ठीक पीछे 7-8 सिपाही बन्दुकें ताने खड़े थें तथा इनका नेतृत्व थानेदार नंगी पिस्तौल लिए नीम के पेड़ के नीचे चक्कर काटकर कर रहा था। थाने का लोहे का मुख्य गेट बन्द था। राजनारायण सिंह ने थानेदार से शान्तिपूर्वक झण्डा फहराने का निवेदन किया, लेकिन वह तैयार नहीं हुआ। थानेदार ने आन्दोलनकारीयों को चेतावनी देते हुए कहा कि झण्डा फहराने की जो जुर्रत करेगा उसे गोलियों से भून दिया जायेगा। इतना सुनना था कि कामता प्रसाद विद्यार्थी ने लोगों को ललकारते हुए कहा कि ‘आगे बढ़ो और तिरंगा फहराओ, आने वाले दिनों में नायक वही होगा जो झण्डा फहरायेगा। इसके बाद वे स्वयं तिरंगा लेकर अपने साथियों के साथ थाना भवन की तरफ बढ़े।
कामता प्रसाद विद्यार्थी के साथ रघुनाथ सिंह, हीरा सिंह, महंगू सिंह, रामाधार कुम्हार, हरिनराय अग्रहरी, राम प्रसाद मल्लाह व शिवमंगल यादव आदि थें। ज्यों ही ये लोग लोहे की सलाखेदार गेट कूद कर थाने में प्रवेश किया त्यों ही थानेदार ने सिपाहीयों को आदेश दिया फायर और वह पिस्तौल से हमला बोल दिया। गोली विद्यार्थी जी के बगल से होती हुयी रघुनाथ सिंह को जा लगी। पलक झपकते ही विद्यार्थी जी ने झण्डा फहरा दिया। बन्दूकें गरज रहीं थीं तथा गोलियां भारत मां के वीर सपूतों के सीनों को चीरती हुयी निकल रहीं थीं जिससे कि सीताराम कोईरी, रामा सिंह, विश्वनाथ कलवार, सत्यनारायण सिंह आदि गम्भीर रूप से घायल हुये तथा हीरा सिंह व रघुनाथ सिंह मौके पर ही शहीद हो गयें।
अब तक की घटना जनता मूक दर्शक बनकर देख रही थी मगर भारत माता के वीर सपूतों को तड़पता देख जनता उग्र हो गयी। राजनारायण सिंह का आदेश पाकर हरिनारायण अग्रहरी ने चालुकता पूर्वक थानेदार को पीछे से बाहों में जकड़ लिया तथा पास ही खड़े शिवमंगल यादव ने थानेदार के सिर पर लाठी का भरपुर वार किया, जिससे कि तिलमिलाया थानेदार अपने आवास की तरफ भागा मगर आजादी के मतवालेपन में उग्र जनता ने उसे वहीं धराशायी कर दिया। अब तो आन्दोलन अहिंसक हो चुका था उसकी धधकती ज्वाला में दो हेड कांस्टेबुल और एक कांस्टेबिल को मौत के घाट उतार दिया। बाकी सिपाही व चैकीदार स्थानीय होने की वजह से भागने में कामयाब हुये।
इस विनाशलीला के बाद उग्र क्रान्तिकारीयों ने सभी सरकारी कागजातों और सामानों व टेबुल कुर्सीयों को इकठ्ठा कर थानेदार व तीन सिपाहियों की लाशों को उसी में रखकर जला दिया। इसके बाद आजादी के मतवालों का जूलूस काली हाउस व पोस्ट आफिस पर भी तिरंगा फहरा दिया। तकरीबन रात आठ बजे क्रान्तिकारीयों ने अधजली लाशों को बोरे में भर कर गंगा की उफनती धाराओं में प्रवाहित कर दिया। बरसात की काली रात में गम्भीर रूप से घायल महंगू सिंह को इलाज के वास्ते पालकी पर बिठा कर कामता प्रसाद विद्यार्थी व अन्य लोगों ने 13 किमी0 दूर सकलडीहां स्थित डिस्पेंसरी पहुंचे मगर गम्भीर रूप से घायल भारत माता के वीर सपूत महंगू सिंह ने दम तोड़ दिया। 17 व 18 अगस्त तक धानापुर समेत पूरी महाईच की जनता ब्रिटिश हुकूमत की गुलामी से आजाद थी। 17 अगस्त तक इस महान काण्ड की चर्चा प्रदेश व देश में गूंज उठा। 18 अगस्त को डी.आई.जी. का दौरा हुआ चूंकि मौसम बारिश का था तो सैनिकों को पहुंचने में देरी हुयी। सैनिकों को पहुंचते ही पूरे महाईच में कोहराम मच गया। रात के वक्त छापों का दौर शुरू हुआ। लोगों को पकड़ कर धानापुर लाया जाता तथा बनारस के लिए चालान कर दिया जाता। इस तरह तीन सौ लोागें का चालान किय गया और उन्हे बुरी तरह प्रताडि़त किय गया। धानापुर थाना कांड के ठीक नौ दिन बाद 25 अगस्त सन् 1942 को पुनः थाना नग्गू साहू के मकान में अस्थायी रूप से स्थापित किया गया। इस बीच जले हुये थाना परिसर की मरम्मत करा कर 06 सितम्बर सन् 1942 को पुनः थाना अपने स्थान पर स्थापित हुआ।
![](https://youngwriter.in/wp-content/uploads/2021/08/1-1-1024x624.jpeg)
16 अगस्त सन् 1942 का धानापुर थाना कांड भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बड़े कांडों में से है मगर शाब्दिक गलती धानापुर के स्थान पर चानापुर की वजह से इतिहास में अपना स्थान नहीं दर्ज कर पायी जिससे कि यह प्रसिद्ध न हो पाया। लेकिन राष्ट्र के नाम पर कुर्बान होने वालों को लोग हमेशा याद रखते हैं। इसीलिए हर साल 16 अगस्त को इन शहीदों की मजारों पर मेला लगता है और इन्हे श्रद्धांजली अर्पित की जाती है। किसी शायर ने क्या खूब कहा है कि –
शहीदों की मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पे मरने वालों का यहीं बाकी निशां होगा।