साक्ष्य के अभाव में अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम जगदीश प्रसाद ने किया दोषमुक्त
चंदौली। नक्सल प्रभावित नौगढ़ के हिनौत घाट के पास नक्सलियों द्वारा लैंड माइन्स के जरिए पीएसी की ट्रक को उड़ा दिया गया था। उक्त नक्सली वारदात के बाद मामले में पुलिस ने 50 आरोपियों को पकड़ा गया था। जिसमें मंगलवार को अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम जगदीश प्रसाद की अदालत ने दायर सत्र परीक्षण वादों की सुनवाई के बाद फैसला सुनाया। इस दौरान उन्होंने साक्ष्य के अभाव में सभी आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया और उनकी रिहाई का आदेश जारी किया। मामले में कुल 45 अभियुक्तों पर ट्रायल हुआ, जिसमें कुछ की जेल में ही मौत हो गयी। वहीं कुछ जमानत पर बाहर थे। सुनवाई के दौरान जेल में बंद 17 आरोपियों को निर्दोष करार देते हुए कोर्ट ने रिहाई का आदेश दिया है।

दरअसल बीते 20 नवंबर 2004 की अलसुबह नक्सलियों ने नौगढ़ के हिनौत घाट के समीप पीएसी की ट्रक को विस्फोटक से उड़ा दिया था, जिसमें 14 पीएसी व एक पुलिस का जवान शहीद हुआ था। उक्त मामले में 50 लोगों को जेल भेजा गया। जिसमें 45 अभियुक्तों पर अपर सत्र न्यायालय प्रथम में अलग-अलग ट्रायल चला। इस दौरान साक्ष्य व गवाहों के परीक्षण व अवलोकन के उपरांत कोर्ट ने यह पाया कि जो साक्ष्य व गवाह अभियोजन पक्ष की ओर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए गए हैं वह पुलिस द्वारा उक्त नक्सली वारदात को अंजाम देने के मामले में आरोपी बनाए गए लोगों को दोष सिद्ध करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है। अभियोजन की ओर से कुल 19 गवाह प्रस्तुत किए गए, जिनके परीक्षण के उपरांत कोर्ट ने आरोपियों को बेगुनाह पाते हुए सभी को दोषमुक्त करार दिया। न्यायालय की ओर से अपराध अंतर्गत धारा-307, 396, 412 आईपीसी के अतिरिक्त 3/4 लोक सम्पत्ति क्षति निवारण अधिनियम के साथ-साथ धारा-3 व 5 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के आरोप से मुक्त करार दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में जेल के अंदर निरूद्ध चल रहे 17 आरोपियों को तत्काल रिहा किए जाने के आदेश सुनाया। साथ ही जो लोग जमानत पर रिहा चल रहे थे उनके बंध-पत्र को निरस्त करते हुए जमानतदारों को उन्मोचित करने का हुक्म फरमाया है। इस दौरान बचाव पक्ष की ओर से राकेश रत्न तिवारी, अजीत कुमार सिंह, विपुल सिंह, शफीक खान ने न्यायालय में तर्क एवं साक्ष्य प्रस्तुत किए। अधिवक्ता राकेश रत्न तिवारी ने बताया कि 17 वर्ष बाद आरोपियों को न्याय मिला है जो अब जेल से रिहा किए जाएंगे।