चंदौली। बच्चों के पठन-पाठन की सबसे बड़ी सहायक किताबें कबाड़ी के दुकान पर बेच दी गयी थीं। उक्त प्रकरण में अब तब बेसिक शिक्षा महकमा किताबें कबाड़ी को बेचने वाले को नहीं ढूंढ पायी। इसे विभाग की उदासीनता, शिथिलता का नाम दिया जा सकता है। या फिर यह भी कह सकते हैं कि बेसिक शिक्षा विभाग उस नाम को सार्वजनिक नहीं करना चाहता, क्योंकि यदि मामला पटल पर आया तो विभाग को कार्यवाही के लिए बाध्य होना होगा। फिलहाल अब तक केवल पुस्तक प्रभारी हटाए गए हैं। इसके लिए विभाग के बाद ऐसा कुछ भी नहीं है जो उसके द्वारा किया गया हो? तीन दिन बीत जाने के बाद भी जांच कमेटी ने उक्त मामले की जांच नहीं कर पाई है जो कई सवाल खड़े कर रहे हैं।
गत दिनों एसडीएम न्यायिक प्रदीप कुमार ने नजर मुख्यालय स्थित एक कबाड़ की दुकान पर किताबों के बंडल पर पड़ी तो वे रुके और कबाड़ी से जवाब-तलब किया तो वे बगली झांकने लगा। मामला पटल पर आने के बाद पूरा का पूरा बेसिक शिक्षा महकमा हांफता नगर आए। आनन-फानन में बिछियां कला स्थित कबाड़ी की दुकान पर पहुंचा और सभी किताबों को कब्जे में लेकर जिला मुख्यालय भिजवाया दिया। साथ ही बीएसए ने मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। उक्त समय किताब प्रभारी समेत इसके लिए जिम्मेदार तमाम कर्मी मोबाइल बंद कर गायब हो गए। वहीं दूसरे दिन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सत्येंद्र कुमार सिंह ने जिला पुस्तक प्रभारी को हटाकर दूसरी पुस्तक प्रभारी को तैनात कर दिया और तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के जांच कमेटी में उप जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राजेश कुमार चतुर्वेदी व खंड शिक्षा अधिकारी सकलडीहा चंद्रशेखर आजाद और सदर खंड शिक्षा अधिकारी सुरेंद्र बहादुर सिंह को शामिल किया।साथ ही जांच रिपोर्ट जल्द प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। लेकिन 3 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक जांच रिपोर्ट सदस्य टीम द्वारा सौंपी नहीं गए थे लेकर तरह-तरह की चर्चाएं लोगों में व्याप्त है। खंड शिक्षा अधिकारी चंदौली सुरेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि पूरे प्रकरण की जांच की जा रही है जल्दी रिपोर्ट प्रेषित कर दी जाएगी।